टैक्स सेविंग के लिए अब भी लोगों के पास 31 मार्च तक विभिन्न साधनों में निवेश का मौका है. इनमें म्यूचुअल फंडों की स्कीम, पीपीएफ, इंश्योरेंस, सुकन्या समृद्धि योजना जैसी स्कीम्स शामिल हैं. लेकिन ध्यान रखने की बात यह है कि म्यूचुअल फंडों में लास्ट डेट में निवेश करने से नुकसान हो सकता है, इसलिए आपको आज-कल में ही निवेश कर लेना चाहिए.
आयकर की धारा 80 सी के तहत विभिन्न साधनों में निवेश कर आप अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के निवेश को अपनी टैक्सेबल आमदनी से घटा सकते हैं. इन साधनों में म्यूचुअल फंडों की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) भी शामिल होती हैं. ये ऐसी योजनाएं होती हैं जिनमें निवेश टैक्स फ्री होता है और इनमें तीन साल के लिए लॉक-इन पीरियड होता है, यानी आप तीन साल से पहले इनसे पैसा नहीं निकाल सकते.
टैक्स बचत का अब भी रास्ता
वैसे तो नौकरीपेशा लोगों के लिए ऐसे टैक्स बचत के विंडो उनके एम्प्लॉयर ने अब बंद कर दिए हैं और उनके टैक्स का हिसाब-किताब मार्च की सैलरी तक हो चुका होगा. लेकिन 31 मार्च तक निवेश करने से टैक्स बचत का अब भी रास्ता है. वह रास्ता यह है कि कोई भी टैक्सपेयर जब आईटी रिटर्न दाखिल करते समय इस निवेश की जानकारी देगा तो उसे इसके द्वारा टैक्स बचत का फायदा मिल जाएगा.
31 मार्च का इंतजार न करें
लेकिन म्यूचुअल फंडों के ईएलएसएस में निवेश करने के मामले में आप इस तरह की लापरवाही न करें कि अभी तो 31 मार्च तक कर सकते हैं. इसमें अगर निवेश करना है तो आज-कल में कर लें. इसकी वजह यह है कि हाल में सेबी ने नियमों में कुछ बदलाव किया है.
सेबी के नए नियम
सेबी के नए नियम में कहा गया है कि आपके म्यूचुअल फंड में यूनिट का आवंटन तबसे माना जाएगा, जब आपका पैसा एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के खाते में पहुंच जाएगा.
इसलिए अगर आप 31 मार्च की लास्ट डेट पर निवेश करते हैं, तो यह हो सकता है कि आपका पैसा अगले एक-दो दिनों में एएमसी के खाते में पहुंचे. तो आपका यह निवेश इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में टैक्स सेविंग के लिए पात्र नहीं माना जाएगा और आपको इसका फायदा अगले वित्त वर्ष 2021-22 में मिलेगा.
यानी आप अंतिम समय जी-तोड़ कोशिश कर जो निवेश करने जा रहे हैं, उसका कोई फायदा नहीं होगा. इसलिए अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश से टैक्स बचाना चाहते हैं, तो आज-कल में ही इसमें निवेश कर लें.