scorecardresearch
 

कंज्यूमर पर पड़ेगी AGR की मार! टेलीकॉम कंपनियां बढ़ा सकती हैं मोबाइल टैरिफ 

सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए उन्हें एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी एजीआर का बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दे दिया है. लेकिन इससे टेलीकॉम कंपनियों को बहुत राहत नहीं है और आगे वे टैरिफ बढ़ाने को मजबूर हो सकती हैं. 

Advertisement
X
बढ़ सकती है मोबाइल टैरिफ
बढ़ सकती है मोबाइल टैरिफ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टेलीकॉम कंपनियों को AGR पर मिली है राहत
  • उन्हें 10 साल की मोहलत सुप्रीम कोर्ट ने दी है
  • इसके बावजूद कंपनियों को बढ़ाना पड़ सकता है ​टैरिफ

सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए कंपनियों को 10 साल की मोहलत दे दी है. लेकिन इससे टेलीकॉम कंपनियों को बहुत राहत नहीं है और आगे वे टैरिफ प्लान बढ़ाने को मजबूर हो सकती हैं. 

Advertisement

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिम अरुण मिश्रा की बेंच ने टेलीकॉम कंपनियों को मंगलवार को राहत देते हुए उन्हें एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी एजीआर का बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दे दिया है. 

दूर नहीं हुआ संकट
लेकिन खासकर वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल के लिए संकट दूर नहीं हुआ है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को मार्च 2021 तक बकाये का 10 फीसदी और फरवरी 2022 के बाद आगे बाकी 90 फीसदी रकम चुकानी है. वोडाफोन आइडिया ने अभी दूरसंचार विभाग के पास 7,854 करोड़ रुपये जमा किये हैं, जबकि उनका एजीआर का कुल बकाया 58,254 करोड़ रुपये है. इसी तरह एयरटेल ने 18,004 करोड़ रुपये चुका दिये हैं और अभी उसे 25,976 करोड़ रुपये चुकाने हैं. 

फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म जेफेरीज के अनुमान के मुताबिक ​इस वित्त वर्ष के अंत यानी मार्च तक वोडाफोन आइडिया को 5000 करोड़ रुपये और इसके बाद हर साल 6,800 करोड़ रुपये देना होगा. इसी तरह एयरटेल को मार्च तक 2,600 करोड़ रुपये और उसके बाद हर साल 3,500 करोड़ रुपये देने होंगे.

Advertisement

मुनाफे से भी ज्यादा रकम देनी पड़ सकती है 

यानी वोडफोन को तो अपने ऑपरेटिंग प्रॉफिट (EBITDA) से भी ज्यादा पैसा हर साल देना पड़ सकता है. इसी तरह एयरटेल के लिए यह रकम उसके ऑपरेटिंग प्रॉफिट का करीब 22 फीसदी हो सकता है. 

न्यू स्ट्रीट रिसर्च के एनालिस्ट का कहना है कि इन किश्तों के भुगतान के लिए वोडाफोन आइडिया को अपना टैरिफ बढ़ाने, पूंजीगत व्यय कम करने और प्रमोटर द्वारा और पूंजी डालने की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन कंपनी के प्रमोटर्स ने और पूंजी डालने में अनिच्छा दिखाई है. इसलिए अब कंपनी के पास दो ही रास्ते बचते हैं कि टैरिफ में बढ़त करे और पूंजीगत व्यय में कमी लाए. 

जानकारों का कहना है कि एयरटेल को अपने प्रति यूजर औसत राजस्व ARPU में 10 फीसदी और वोडाफोन आइडिया को 25 फीसदी की बढ़त करनी होगी. 

जियो के रहमोकरम पर 
लेकिन अब भारत के बेहद प्रतिस्पर्धी बाजार में ये कंपनियां टैरिफ बढ़ाने के मामले में रिलायंस जियो के रहमोकरम पर हो गई हैं. अगर इनके साथ जियो ने टैरिफ नहीं बढ़ाये तो इनके ग्राहकों का बड़ा हिस्सा जियो के पास चला जाएगा. पिछले साल ही सभी टेलीकॉम कंपनियों ने अपना टैरिफ 30 फीसदी बढ़ा दिया है. 
(www.businesstoday.in के इनुपट पर आधारित) 

 

Advertisement
Advertisement