मंदी (recession) की आहट के बीच एक राहत देने वाली खबर आई है. दरअसल, जुलाई-सितंबर तिमाही में नौकरियों (Jobs) की बहार आएगी और कंपनियां बंपर भर्तियां (Recruitments) करेंगीं. इस संबंध में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों ने अधिक कर्मचारियों को भर्ती करने की इच्छा जाहिर की है.
बिजनेस टुडे पर छपी टीमलीज सर्विसेज (TeamLease Services) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही की तुलना में मौजूदा तिमाही में कंपनियों की बंपर नई भर्तियां करने की योजना है. पिछली तिमाही में नई भर्तियां करने की इच्छा (Hiring Intent) रखने वाली कंपनियों का आंकड़ा 54 फीसदी था, जो कि अब सात फीसदी बढ़कर 61 फीसदी पर पहुंच गया है.
टीमलीज सर्विसेज की रोजगार आउटलुक रिपोर्ट में कहा गया कि देश में 61 फीसदी कंपनियां 2022 की मौजूदा जुलाई-सितंबर तिमाही में और अधिक नियुक्तियां करेंगी. हायरिंग इंटेंट का यह आंकड़ा भारत के 14 शहरों और 23 क्षेत्रों में मौजूद 865 छोटी, मध्यम और बड़ी कंपनियों के सर्वेक्षण के आधार पर पेश किया गया है.
यह आंकड़ा जॉब मार्केट (Job Market) में उछाल का संकेत देती है. इससे साफ होता है कि कोरोना (Corona) की मार से उबरी कंपनियां अब प्रतिभा की तलाश में जुट गई हैं. इंजीनियरिंग (Engineering) और मार्केटिंग (Marketing) कंपनियां जुलाई-सितंबर के दौरान अधिक भर्तियां करने के इरादे में सबसे आगे हैं. इंजीनियरिंग के लिए हायरिंग इंटेंट 13 फीसदी बढ़कर 70 फीसदी हो गया. वहीं मार्केटिंग के लिए हायरिंग इंटेंट में 10 फीसदी से 63 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
इसके अलावा सेल्स (Sales) और आईटी (IT) कंपनियों ने भी कर्मचारियों को काम पर रखने के इरादे में आठ प्रतिशत की वृद्धि की है. शहरों के हिसाब से देखें तो सेवा क्षेत्र (Service Sector) में अधिक रोजगार देने का इरादा रखने वाले शहरों में बेंगलुरु 97 फीसदी के साथ पहले नंबर पर है. इसके बाद मुंबई 81 फीसदी के साथ दूसरे और दिल्ली 68 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर है.
विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) के लिए दिल्ली 72 फीसदी के साथ पहले और मुंबई 59 फीसदी के साथ दूसरे पायदान पर है. इस क्षेत्र में 55 फीसदी हायरिंग इंटेंट के साथ चेन्नई तीसरे स्थान पर है. टीमलीज की कार्यकारी निदेशक और को-फाउंडर ऋतुपर्णा चक्रवर्ती का कहना है कि कुल मिलाकर कारोबारी माहौल में सुधार आया है और अधिक कंपनियां नई भर्तियां करने को तैयार हैं. पीएलआई योजनाओं (PLI Schemes) में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने से स्थितियां बेहतर हुई हैं.