scorecardresearch
 

Finance Ministry Review: भारत के सामने ये 3 बड़े ब्रेकर, सरकारी रिपोर्ट में खुलासा- सतर्क रहने की सलाह!

भारत के बैंकिंग सेक्टर में मजबूती की एक बड़ी वजह यहां पर जमाकर्ताओं की आदतों को माना जा रहा है. समीक्षा के मुताबिक भारत में 63 फीसदी जमा परिवार करते हैं जो जल्द निकासी नहीं करते.

Advertisement
X
सबसे तेज दौड़ती इकोनॉमी के सामने चुनौतियां
सबसे तेज दौड़ती इकोनॉमी के सामने चुनौतियां

भारत को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी (Economy) कहा जा रहा है.  इसके बावजूद वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में आगाह किया है कि भारत की ग्रोथ के सामने कुछ ब्रेकर्स का खतरा बरकरार है. वित्त मंत्रालय ने कृषि उत्पादन में कमी, कीमतों में बढ़ोतरी और जियोपॉलिटिकल बदलावों जैसे संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क रहने के लिए कहा है. हालांकि वित्त मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा के मार्च एडिशन में कहा है कि 2022-23 में साढ़े 6 फीसदी की विकास दर हासिल करना मुमकिन है. 

Advertisement

अल नीनो बना सबसे बड़ा खतरा!
वित्त मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है कि अल नीनो से सूखे जैसे हालात बन सकते हैं. इससे कृषि उपज में कमी और दामों में बढ़ोतरी हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक अर्थव्यवस्था में मजबूती देखी जा रही है और इसके 7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. चालू खाता घाटे में सुधार और हाल में महंगाई के दबाव में आई कमी की वजह से भी आर्थिक हालात दुरुस्त नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही अप्रैल में अमेरिका और यूरोप में आए बैंकिंग संकट से भी भारत को महफूज बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI ने बैंकिंग क्षेत्र पर निगरानी बढ़ाई है और इसके दायरे में आने वाले संस्थान बढ़े हैं. बैंकों पर दबाव का परीक्षण भी समय-समय पर किया जाता है.

Advertisement

मजबूत है भारत का बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector)
भारत के बैंकिंग सेक्टर में मजबूती की एक बड़ी वजह यहां पर जमाकर्ताओं की आदतों को माना जा रहा है. समीक्षा के मुताबिक भारत में 63 फीसदी जमा परिवार करते हैं जो जल्द निकासी नहीं करते. ऐसे में भारत के बैंक अमेरिका और यूरोप के बैंकों से अलग हैं. इसके साथ ही भारत को महंगाई के मोर्चे पर भी बड़ी सफलता मिली है. 2021-22 में जहां रिटेल महंगाई दर साढ़े 5 फीसदी रही थी. वहीं 2022-23 में ये बढ़कर 6.7 परसेंट पर पहुंच गई. लेकिन पहली छमाही में इसकी चुनौती इतनी बड़ी थी कि ये अप्रैल-सितंबर 2022 में 7.2 फीसदी पर पहुंच गई थी. इसके बाद अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 तक ये 6.1 परसेंट पर आ गई. 

महंगाई घटाने में मिली मदद
इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय कमोडिटीज की कीमतों में कमी के साथ ही सरकार के कदमों और आरबीआई की मौद्रिक सख्ती रही है. इसके साथ ही चालू खाता घाटे के कम होने, विदेशी पूंजी के आने से अब विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़ोतरी हो रही है.

 

Advertisement
Advertisement