कहते हैं जहां चाह... वहां राह, ये कहावत देश की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनी VRL Logistics के मालिक विजय संकेश्वर (Vijay Sankeshwar) पर बिल्कुल फिट बैठती है. पारिवारिक कारोबार से अलग अपनी पहचान बनाने का उनका सफर और उसमें मिली सफलता बेहद दिलचस्प है. उनके इस सफर पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है, जिसे लोगों ने खासा पसंद भी किया. भारत में कमर्शियल वाहनों का सबसे बड़ा काफिला इनके ही पास है और ये देश के ट्रकिंग किंग (Trucking King) भी कहलाते हैं.
1976 में की थी कारोबार की शुरुआत
देश की बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनियों की लिस्ट में सबसे ऊपर वीआरएल लॉजिस्टिक्स (VRL Logistics) का नाम आता है. ये कंपनी इतनी बड़ी एकदम से नहीं बनी है, बल्कि इसके पीछे सालों की मेहनत और जज्बे का अहम रोल रहा है. वीआरएल लॉजिस्टिक्स के फाउंडर विजय संकेश्वर के पास आज करीब 5,000 कमर्शियल वाहनों का काफिला है और ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है, जिसके चलते फर्म का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. खास बात ये है कि विजय संकेश्वर ने अपने इस ट्रकिंग (लॉजिस्टिक) बिजनेस की शुरुआत महज एक ट्रक के साथ साल 1976 में की थी.
पारिवारिक बिजनेस में नहीं लगा मन
वीआरएल लॉजिस्टिक्स (VRL Logistics) के फाउंडर विजय संकेश्वर ने अपने पारिवारिक बिजनेस से अलग नया रास्ता चुना था, जिसका उनके परिवार ने विरोध किया था. दरअसल, उनका परिवार प्रिटिंग प्रेस के बिजनेस से जुड़ा हुआ था. लेकिन विजय संकेश्वर के मन में कुछ और ही करने का जुनून सवार था और उन्होंने घरवालों की इच्छा के खिलाफ लॉजिस्टिक्स बिजनेस में उतरने की ठानी. उनका बिजनेस आइडिया काम आया और आज उनके इस कदम पर पूरा परिवार गर्व करता है और विजय संकेश्वर का नाम देश के अमीरों में शामिल है.
उधार के पैसे के शुरू किया कारोबार
पारिवारिक बिजनेस से अलग अपना काम शुरू करने की कहानी भी दिलचस्प है. उन्होंने अपने फैसले पर अटल रहते हुए घरवालों से बिजनेस शुरू करने के लिए आर्थिक मदद नहीं ली, बल्कि अपने किसी पहचान वाले से पैसे उधार लेकर एक ट्रक के जरिए काम शुरू किया. इस बिजनेस में एंट्री लेने के बाद उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और आर्थिक दिक्कतें भी पेश आईं. लेकिन तमाम मुसीबतों के आने के बावजूद उनका हौसला डगमगाया नहीं और उन्होंने इनका डटकर मुकाबला किया. 90 के दशक में उन्हें कारोबार में सफलता मिलनी शुरू हो गई और एक ट्रक से शुरू हुआ बिजनेस 150 ट्रकों के काफिले में तब्दील हो गया.
ट्रकिंग किंग के जीवन पर बनी फिल्म
टेक्नोलॉजी और संचार की कमी शुरुआती दौर में इस बिजनेस में सबसे बड़ा रोड़ा बन रही थी. इसके साथ ही लॉजिस्टिक्स का कारोबार संगठित नहीं था. इन सब परेशानियों के बीच साल 1990 के बाद उनके कारोबार का विस्तार तेजी से होने लगा. अब तक कमर्शियल ट्रांसपोर्ट से पैसेंजर सर्विस में भी आ गए थे. कारोबार बढ़ने पर उन्होंने अपनी एक कंपनी शुरू की और उसका नाम विजयानंद ट्रैवल्स रखा और बाद में इसका नाम बदलकर VRL Logistics कर दिया गया. आज कंपनी जेट सेवाएं भी मुहैया कराती है. इस कंपनी का बहुत बड़ा नाम है और विजय संकेश्वर के सफर पर कन्नड़ भाषा में एक फिल्म 'विजयानंद' भी बन चुकी है. इसे 2022 में रिलीज किया गया था और दर्शकों ने इसे बेहद पसंद भी किया था.
कंपनी के शेयर ने 5 साल में दिया 115% का रिटर्न
एक रिपोर्ट के मुताबिक, विजय संकेश्वर की नेटवर्थ करीब 70 करोड़ रुपये है. VRL Logistics के शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हैं और सोमवार को शेयर बाजार में कारोबार के दौरान ये 716.00 रुपये पर बंद हुए थे. बीते पांच सालों में इस कंपनी के स्टॉक की परफॉर्मेंस पर नजर डालें, तो इसने अपने निवेशकों को 115.05% का रिटर्न दिया है. इस लॉजिस्टिक्स कंपनी का मार्केट कैप आज 6200 करोड़ रुपये से ज्यादा है.