
भूकंप से तुर्की में भारी क्षति पहुंची है. करीब 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. आर्थिक तौर पर तुर्की को भारी नुकसान होने वाला है. जिससे हाल के दिनों में उबरना संभव नहीं है. हालांकि पूरी दुनिया से तुर्की मदद पहुंच रही है. भारत ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. भारत की ओर से NDRF की रेस्क्यू टीम, दवाएं और मेडिकल टीमें भेजी गई हैं. वायुसेना के विमानों से राहत सामग्री पहुंचाई गई है.
भूकंप की वजह से तुर्की में हजारों इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर गईं. अगर तुर्की की आर्थिक सेहत की बात करें तो पिछले दो दशक में स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ी है. इसका बड़ा कारण अंदरूनी राजनीति को बताया जाता है. तुर्की विदेशी मुद्रा के संकट से जूझ रहा है और इससे निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. कोरोना काल में तुर्की की आर्थिक सेहत बेहद चरमरा गई थी. जिससे महंगाई बढ़ गई और लोग खाद्य वस्तुओं की कमी से जूझने लगे.
तुर्की की आर्थिक सेहत बेहद खराब
आर्थिक स्थिति बिगड़ने से तुर्की में बेरोजगारी भी बढ़ गई है, लेकिन अब भूकंप की वजह से कई शहरों में स्थिति बेहद खराब हो गई है. तुर्की की आर्थिक समस्याओं की जड़ें वैसे तो काफी गहरी हैं. लेकिन जानकारों की मानें तो हालिया संकट राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के ब्याज दरें कम करने के जोर देने की वजह हुआ है. ग्लोबल मंदी का भी असर तुर्की पर पड़ा है. जिससे टर्किश लीरा में भारी गिरावट आई है.
अगर भारत से रिश्ते की बात करें तो कभी भी दोनों देशों के बीच रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे. क्योंकि तुर्की का हमेशा पाकिस्तान प्रेम झलकता रहा है. जिससे भारत से दूरियां बढ़ती गईं. खासकर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद तुर्की ने भारत का खुलकर विरोध किया था. जिससे रिश्तों में तनाव आ गया था.
हालिया घटनाक्रम की बात करें मई-2022 में तुर्की (Turkey) ने 56,877 टन भारतीय गेहूं को लौटा दिया था, तुर्की ने कहा था कि गेहूं में रूबेला वायरस (Rubella Disease) पाया गया है. जबकि बाद में उसी गेहूं को मिस्र ने खरीद लिया. कहा गया था कि तुर्की में राजनीति फैसले के तहत गेहूं लौटाया गया था.
पाकिस्तान प्रेम की वजह से रिश्तों में कड़वाहट
अगर हालांकि राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रिश्ते बेहतर करने की कोशिश हुई थी. लेकिन बात नहीं बन पाई. क्योंकि पाकिस्तान को लेकर तुर्की का रुख हमेशा नरम रहा. अगर द्विपक्षीय व्यापार की बात करें तो भारत आयत के मुकाबले तुर्की निर्यात ज्यादा करता है. तनाव के बीच भी हाल के कुछ वर्षों में भारत और तुर्की के बीच कारोबार बढ़ा है.
भारत की ओर से तुर्की को मीडियम ऑयल और ईंधन, कृत्रिम रेशे, प्राकृतिक रेशे, ऑटोमोटिव कल-पुर्जे, साजोसामान और ऑर्गेनिक कैमिकल भेजा जाता है. जबकि तुर्की से भारत खसखस, मशीनरी, इंजीनियरिंग उपकरण, लोहे और स्टील की चीजें, अकार्बनिक रसायन, मोती, जवाहरात और संगमरमर आता है. मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में भारत और तुर्की के बीच करीब 80 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था. इसमें से 65 हजार करोड़ का निर्यात और 15 हजार करोड़ का आयात हुआ था. इसके अलाव तुर्की के ऑटोमोबाइल, फार्मा और आईटी क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों की मौजूदगी हैं.
दोनों देशों के बीच व्यापार
इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में दोनों देशों के बीच 7.2 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था, वर्ष 2017-18 के दौरान तुर्की ने भारत से 5 बिलियन डॉलर तक का आयात किया था, और इसी अवधि के दौरान उसने भारत को 2.2 बिलियन डॉलर का निर्यात किया. तुर्की की ओर से वर्ष 2000 से 2018 तक भारत में निर्माण, शीशा और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में 182.18 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जबकि भारत की ओर से तुर्की में 1998 से 2017 तक 121.36 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया.
तुर्की में कितने भारतीय?
दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव की वजह से दुनिया के बाकी देशों की तुलना में तुर्की में रहने वाले भारतीयों की संख्या काफी कम है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2022 तक तुर्की में 1,708 भारतीय रहते हैं. इनके अलावा तुर्की के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले भारतीयों की संख्या भी कम है. विदेश मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि तुर्की में महज 193 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.
भारतीय पर्यटकों के लिए तुर्की मनपसंद जगह है. कोविड की पाबंदियां हटने के बाद तुर्की घूमने वाले भारतीयों की संख्या खासी बढ़ोतरी देखी गई. पिछले साल जून में 27,300 भारतीय तुर्की घूमने गए थे. ये तुर्की घूमने वाले भारतीयों की रिकॉर्ड संख्या थी.