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बिखर गया Twin Tower, निवेश कितना? कितनी थी मौजूदा कीमत? ढहाने में कितना खर्च?

रियल एस्टेट के जानकारों की मानें तो, जिस इलाके में ये टावर्स बने थे, वहां प्रॉपर्टी की वैल्यू फिलहाल 10 हजार रुपए प्रति वर्ग फीट है. ट्विन टावर में 711 ग्राहकों ने फ्लैट बुक कराए थे. इनमें से सुपरटेक ने 652 ग्राहकों का सेटलमेंट कर दिया है. बुकिंग अमाउंट और ब्याज मिलाकर रिफंड का विकल्प आजमाया गया है.

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आज ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया जाएगा.
आज ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया जाएगा.

आज दोपहर नोएडा (Noida) के सेक्टर 93-A स्थित ट्विन टावर को ध्वस्त (Twin Towers Demolition)  हो गया. भ्रष्टाचार के इस गगनचुंबी इमारत को अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से खड़ा किया गया था. आज दोहपर ढाई बजे के करीब विस्फोटकों को फोड़ा गया और देखते-देखते दोनों टावर आसमान की ऊंचाइयों से गिरकर मलबे में तब्दील हो गए. महज कुछ सेकेंड में 700-800 करोड़ रुपये की वैल्यू वाले दोनों टावर ध्वस्त हो गए. सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं करने के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिराया गया.

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ट्विन टावर्स को गिराने में कितना खर्च

सुपरटेक के ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपये का खर्च (Supertech Twin Towers Demolition Cost) आया. इसे गिराने का खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ने वहन किया है. दोनों ही टावरो में कुल 950 फ्लैट्स बने चुके थे. सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये की लागत से ट्विन टावर का निर्माण किया था.

आज कितनी है इमारत की वैल्यू?

रियल एस्टेट के जानकारों की मानें तो, जिस इलाके में ये टावर्स बने थे, वहां प्रॉपर्टी की वैल्यू फिलहाल 10 हजार रुपए प्रति वर्ग फीट है. इस हिसाब से अब जमींदोज हो चुके सुपरटेक के दोनों टावर्स की वैल्यू (Supertech Twin Towers Value) 1000 करोड़ रुपये के पार निकल जाती है. हालांकि कानूनी मुकदमेबाजियों के कारण इन दोनों टावर की वैल्यू पर असर पड़ा और इनकी मौजूदा वैल्यू 700 से 800 करोड़ रुपये थी.

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कितने लोगों ने बुक कराए थे फ्लैट्स

ट्विन टावर में 711 ग्राहकों ने फ्लैट बुक कराए थे. इनमें से सुपरटेक ने 652 ग्राहकों का सेटलमेंट कर दिया है. बुकिंग अमाउंट और ब्याज मिलाकर रिफंड का विकल्प आजमाया गया है. मार्केट या बुकिंग वैल्यू+इंटरेस्ट की कीमत के बराबर प्रॉपर्टी दी गई है.

बिल्डर ने प्रॉपर्टी की कीमत कम या ज्यादा होने पर पैसा रिफंड किया या अतिरिक्त रकम ली. जिन लोगों को बदले में सस्ती प्रॉपर्टी दी गई उनमें सभी को अभी तक बाकी रकम नहीं मिली है. ट्विन टावर्स के 59 ग्राहकों को अभी तक नहीं मिला रिफंड नहीं मिला है. रिफंड की आखिरी तारीख 31 मार्च 2022 थी.

क्या था पूरा मामला?

सुपरटेक की यह प्रॉपर्टी करीब डेढ़ दशक से विवादित है. नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन का आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी. 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई, लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी.

सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6,556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया, जिसकी अतिरिक्त लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर के नाम कर दी गई. नक्शा पास होने के बाद दोनों प्लॉट्स को मिलाकर एक ही प्लॉट में तब्दील कर दिया गया और इस पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट को लॉन्च कर दिया. प्रोजेक्ट के अनुसार, ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की थी.

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सरकार के फैसले ने बिगाड़ी बात

उत्तर प्रदेश सरकार 28 फरवरी 2009 को नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया. एफएआर बढ़ने से अब उसी जमीन पर बिल्डर ज्यादा फ्लैट्स बना सकते थे. इससे सुपरटेक ग्रुप को यहां से बिल्डिंग की ऊंचाई 24 मंजिल और 73 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति मिल गई. इसके बाद प्लान को तीसरी बार रिवाइज किया गया. इस रिवीजन में बिल्डर को ऊंचाई 121 मीटर तक बढ़ाने और 40 मंजिला टावर बनाने की मंजूरी मिल गई. इसके बाद खरीदारों ने विरोध करना शुरू कर दिया. क्योंकि नक्शे के हिसाब से आज जहां पर 32 मंजिला एपेक्स और सियाने खड़े हैं, वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था. 

हाईकोर्ट ने दिया गिराने का आदेश

जब कोई समाधान नजर नहीं आने पर खरीदारों ने 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. साल 2014 में हाईकोर्ट ने इन्हें गिराने का आदेश दिया, तब तक बिल्डर ने 32 फ्लोर की इमारत खड़ी कर दी थी. बिल्डर ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुपरटेक ने एक टावर को गिराकर दूसरे को रहने देने की भी दलील दी. हालांकि कोर्ट में बिल्डर की कोई भी दलील काम नहीं आई और सुप्रीम कोर्ट ने भी इन्हें गिराने पर हरी झंडी दिखा दी.

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आसपास रहने वालों को सता रहा डर

ट्विन टावर के आस पास की बिल्डिंग के फ्लैट में रहने वाले परिवारों को डर सता रहा हौ. उनका कहना है कि ध्वस्तीकरण के बाद जब वो अपने घर में वापस लौटेंगे तो क्या सब कुछ सही सलामत मिलेगा? उनका कहना है कि उनके फ्लैट का इंश्योरेंस तो सुपरटेक ने कराया है, लेकिन घर में मौजूद सामान का क्या होगा? ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बेहद नजदीक करीब डेढ़ सौ फ्लैट ऐसे हैं जो महज 9 मीटर से करीब 30 मीटर के दायरे में आते हैं. ऐसे में इनको सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ना सकता है. फिलहाल आसपाल धुएं का गुबार है फैला है. जब मलबे का निरीक्षण किया जाएगा, उसके बाद ही स्थिति का पता चल पाएगा.

 

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