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बैंकों में पड़े ये पैसे आपके तो नहीं, इन 8 राज्यों में सबसे ज्यादा, खाताधारक की तलाश तेज

RBI ने इस तरह की लावारिस या बिना दावे वाली रकम को लेकर नियम बनाए हैं. इसके तहत जिन खातों (Accounts) पर बीते 10 सालों से कोई दावेदार सामने नहीं आया है, उनकी लिस्ट तैयार करके सभी बैंक (Bank) अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होता है.

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बैंकों में जमा 48,000 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं
बैंकों में जमा 48,000 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीते वित्त वर्ष यह आंकड़ा 39,264 करोड़ रुपये था
  • खाताधारकों की पहचान को चलाया जाएगा अभियान

देश के अलग-अलग बैंकों (Banks) के पास 48 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम निष्क्रिय पड़ी है. यानी इन पैसों का कोई दावेदार नहीं है. देश के आठ राज्यों में सबसे अधिक Unclaimed Money जमा की गई है. अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस मामले में अभियान शुरू कर रहा है, जिससे खाताधारकों का पता लगाया जा सके. 

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हर साल बढ़ रही लावारिस रकम
पीटीआई के मुताबिक, विभिन्न बैंकों में जमा की गई यह Unclaimed राशि साल दर साल बढ़ती जा रही है. पिछले वित्त वर्ष यह आंकड़ा 39,264 करोड़ रुपये था, जो FY22 में बढ़कर 48,262 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. आरबीआई अपने अभियान के तहत सबसे ज्यादा फोकस उन आठ राज्यों पर रखने वाली है, जहां बैंकों में सबसे अधिक पैसा जमा है. 

RBI के रडार पर ये आठ राज्य  
केंद्रीय बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, लावारिस पड़ी रकम में से ज्यादातर तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में स्थित बैंकों में है. गौरतलब है कि आरबीआई का अभियान इन राज्यों में क्षेत्रीय भाषाओं के अलावा हिंदी और अंग्रेजी भाषा में भी है. 

केंद्रीय बैंक ने तय किए हैं नियम 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लावारिस जमा रकम को लेकर तय किए गए नियमों की बात करें, तो आरबीआई ने आदेश दिया था कि जिन खातों पर बीते 10 सालों से कोई दावेदार सामने नहीं आया है, उनकी लिस्ट तैयार की जाए. इस लिस्ट को सभी बैंक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें. इसमें खाताधारकों के नाम और पते भी शामिल होने चाहिए. 

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अभियान चलाने का मकसद  
आरबीआई की ओर से इस अभियान का उद्देश्य भी बताया गया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि हमारा उद्देश्य देश भर के बैंकों में जमा इस तरह की लावारिस रकम के जमाकर्ताओं या मृत जमाकर्ताओं के नामितों/कानूनी वारिसों की पहचान और दावा करने में मदद करना है.

 

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