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मौजूदा हालात में इकोनॉमी नहीं दे सकती पर्याप्त रोज़गार, अप्रैल में 73 लाख हुए बेरोज़गार: CMIE

कोरोना महामारी के चलते देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन जैसी स्थिति है. ऐसे में शहरी इलाकों में बेरोज़गारी बढ़ना लाजिमी है. लेकिन CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा हालत में देश की अर्थव्यवस्था अब पर्याप्त रोज़गार नहीं दे सकती है. इसलिए लॉकडाउन से लगभग अछूते रहे कृषि क्षेत्र में भी अप्रैल में बड़ी संख्या में लोगों का रोज़गार छिना हैं. जानें पूरी खबर

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अप्रैल में छिनी 73 लाख से अधिक की रोज़ी-रोटी (सांकेतिक फोटो)
अप्रैल में छिनी 73 लाख से अधिक की रोज़ी-रोटी (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ‘कृषि क्षेत्र में छिनी 60 लाख की रोज़ी-रोटी’
  • ‘लेबर मार्केट से कम हुए 11 लाख का लेबर फोर्स’
  • ‘बेरोजगारी दर पहुंची 8% पर, मार्च में थी 6.5%’

कोरोना महामारी के चलते देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन जैसी स्थिति है. ऐसे में शहरी इलाकों में बेरोज़गारी बढ़ना लाजिमी है. लेकिन CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था अब पर्याप्त रोज़गार नहीं दे सकती है. इसलिए लॉकडाउन से लगभग अछूते रहे कृषि क्षेत्र में भी अप्रैल में बड़ी संख्या में लोगों का रोज़गार छिना हैं.

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बेरोज़गारी दर हुई 8%
अप्रैल में देश की बेरोज़गारी दर 8% पर पहुंच गई. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न राज्यों में लगे लॉकडाउन से बेरोज़गारी बढ़ने का अनुमान तो था, लेकिन यह उससे भी ज्यादा है. मार्च में देश की बेरोज़गारी दर 6.5% थी. प्राइवेट थिंक टैंक CMIE (Center for Monitoring Indian Economy) की रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार की दर भी मार्च के 37.6% से गिरकर अप्रैल में 36.8% पर आ गई है.

लेबर मार्केट में घटी भागीदारी
CMIE के प्रमुख महेश व्यास ने अपने लेख ‘Job losses mount in April' में कहा, ‘लेबर मार्केट से अप्रैल 2021 में 11 लाख लोग कम हो गए. श्रम बाजार में श्रमिकों की उपलब्धता अप्रैल में 42.46 करोड़ रह गई जो मार्च में 42.58 करोड़ थी.’

अर्थव्यवस्था में नहीं रही रोज़गार देने की ताकत
CMIE के हिसाब से लॉकडाउन लोगों को रोज़गार की तलाश करने से रोक सकता है और इससे लेबर मार्केट में श्रम भागीदारी में कमी आ सकती है. लेकिन CMIE के प्रमुख महेश व्यास कहते हैं, ‘देश की अर्थव्यवस्था अभी उन लोगों को भी पर्याप्त संख्या में रोज़गार नहीं दे सकती है जो रोज़गार चाहते हैं. ऐसे में लेबर मार्केट की ये स्थिति पूरी तरह देश में लगे आंशिक लॉकडाउन की वजह से नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था सामान्य शब्दों में अभी उन लोगों को बड़ी संख्या में रोज़गार नहीं दे सकती जो रोज़गार चाहते हैं.’

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छिनी 73 लाख से अधिक की रोजी-रोटी
CMIE के अनुमान के मुताबिक अप्रैल में सिर्फ लेबर मार्केट से 11 लाख लोग कम नहीं हुए. बल्कि इस दौरान 73.5 लाख लोगों का रोज़गार छिना भी है. मार्च में काम-धंधे से लगे लोगों की संख्या 39.8 करोड़ थी.अप्रैल में यह घटकर 39.07 करोड़ रह गई.

वहीं CMIE के आंकड़ों के मुताबिक जो लोग नौकरी करना चाहते हैं और सक्रिय तौर पर इसकी तलाश कर रहे हैं लेकिन रोज़गार पाने में असफल रहे हैं, ऐसे बेरोज़गारों की संख्या अप्रैल में 3.39 करोड़ रही जो मार्च में 2.77 करोड़ थी. इस तरह के बेरोज़गारों की संख्या 62 लाख रही.

कृषि क्षेत्र में गया 60 लाख लोगों का रोज़गार
CMIE के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में जिन 73.5 लाख लोगों का काम-धंधा छिन गया उनमें से 60 लाख लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं. इसलिए रोज़गार में कमी के लिए पूरी तरह लॉकडाउन को वजह नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि कृषि क्षेत्र पर लॉकडाउन का असर नहीं पड़ा है. वैसे कृषि क्षेत्र में अप्रैल का महीना मंदा ही रहता है क्योंकि इस दौरान रबी की फसल की कटाई हो जाती है और खरीफ की फसल की तैयारी मई से शुरू होती है. मार्च में इस सेक्टर में 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला था जो अप्रैल में घटकर 11.4 करोड़ रह गया.

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