केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) ने बजट में इंफ्रा पर जोर दिए जाने की शुक्रवार को सराहना की. उन्होंने कहा कि इससे सरकार का खजाना भरेगा और लोगों के लिए रोजगार के अवसर क्रिएट होंगे. उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय 3 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है. आगे भी उनका मंत्रालय इंफ्रा बेहतर बनाने की दिशा में सक्रियता से काम करता रहेगा. केंद्रीय मंत्री ने आज तक की सहयोगी वेबसाइट बिजनेस टुडे के एक कार्यक्रम 'Brainstorm Budget 2022' में ये बातें कही.
गडकरी ने बताया कि भारत के पास दुनिया में सबसे तेजी से सड़कें बनाने का रिकॉर्ड है. 2020-21 में 13,394 किलोमीटर हाईवे का निर्माण किया गया. इस दौरान मार्च में 37 किलोमीटर प्रति दिन के औसत से सड़कें बनाई गई. इसी तरह NHAI ने दिल्ली-वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे के करीब 2.5 किलोमीटर के हिस्से को 23 घंटे में बनाने का रिकॉर्ड अपने खाते दर्ज किया. तीसरा रिकॉर्ड NHAI के एक कांट्रैक्टर ने 18 घंटे में 25.54 किलोमीटर सिंगल लेन सड़क का निर्माण कर बनाया.
बजट में इंफ्रा पर जोर, गडकरी के मंत्रालय को ये सौगात
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने 01 फरवरी को अपना चौथा बजट (Union Budget 2022) पेश किया था. बजट में उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर (Infra) बेहतर बनाने पर जोर दिया था. इस बार के बजट में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Road Transport & Highway Ministry) को 1.99 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए. यह पिछले बजट की तुलना में 68 फीसदी ज्यादा है. बजट में 2022-23 में नेशनल हाईवे (National Highway) के नेटवर्क में 25 हजार किलोमीटर का विस्तार करने का टारगेट सेट किया गया. बजट में पर्वतीय राज्यों के लिए रोपवे प्रोजेक्ट का भी ऐलान किया गया था.
बजट के बाद गडकरी ने दिया था ये रिएक्शन
बजट के बाद प्रतिक्रिया देते हुए गडकरी ने कहा था कि इस बार के बजट में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और किसानों से जुड़े विकास कार्यों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई है. उन्होंने कहा कि बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी अधिक महत्व दिया गया है. गडकरी के मुताबिक नेशनल रोपवे डेवलपमेंट प्रोग्राम (National Ropeway Development Programme) से पूर्वोत्तर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों को फायदा होगा. उन्होंने कहा था कि पहले उनका मंत्रालय भारतमाला (Bharatmala) और सागरमाला (Sagarmala) जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर चुका है. अब पर्वतमाला (Parvatmala) प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई है. इससे साफ पता चलता है कि इस बजट ने 21वीं सदी के भारत की रूपरेखा तय की है.