US China Tariff War: चीन (China) को अमेरिका (US) के खिलाफ इंटरनेशनल फोरम में एक बड़ी कामयाबी मिली है. WTO ने 10 साल पुराने के एक मामले में चीन के पक्ष में फैसला सुनाया है. इतना ही नहीं इंटरनेशनल ट्रेड बॉडी ने चीन को अमेरिका के खिलाफ 645 मिलियन डॉलर का जवाबी टैरिफ लगाने की भी मंजूरी दी है.
बराक ओबामा के कार्यकाल का है ये मामला
अमेरिका ने 2008 से 2012 के दौरान चीन के कुछ सामानों पर एंटी सब्सिडी टैरिफ (Anti Subsidy Tariff) लगाया था. ये टैरिफ सोलर पैनल से लेकर स्टील वायर तक 22 चाइनीज प्रॉडक्ट पर लगाए गए थे. बराक ओबामा (Barack Obama) के कार्यकाल में हुए इस फैसले को चीन ने 2012 में WTO में चुनौती दी थी. अब 10 साल बाद इस मामले में WTO का फैसला सामने आया है.
दूसरी बार अमेरिका के खिलाफ चीन को मिली जीत
चीन ने WTO में मामला ले जाते हुए 2.4 बिलियन डॉलर के अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाने की इंजाजत मांगी थी. WTO ने चीन की इस मांग को तो स्वीकार नहीं किया, लेकिन 645 मिलियन डॉलर के अमेरिकी सामानों पर कंपनशेटरी टैरिफ लगाने की इजाजत दे दी. इससे पहले 2019 में भी चीन को अमेरिका के खिलाफ WTO में कामयाबी मिली थी. तब WTO ने चीन को 3.58 बिलियन डॉलर का जवाबी टैरिफ लगाने की मंजूरी दी थी.
अमेरिका ने WTO को बताया अप्रासंगिक
इस फैसले पर अमेरिका का कहना है कि WTO के नियमों में अब सुधार करने की जरूरत है. अमेरिका ने कहा कि WTO के नियम अब पुराने और अप्रासंगिक हो गए हैं. चीन इन नियमों का गलत इस्तेमाल कर अपने एंटी-मार्केट रवैये का बचाव करता है. दरअसल चीन के ऊपर अन्य बाजारों में सस्ते प्रॉडक्ट डंप करने के आरोप लगते रहे हैं. चीन की कई कंपनियों में वहां की सरकार के पास मेजॉरिटी शेयरहोल्डिंग हैं. इन कंपनियों को मैन्यूफैक्चर्ड प्रॉडक्ट पर सब्सिडी मिल जाती है, जिससे ये अन्य देशों के सामानों की तुलना में सस्ते हो जाते हैं.