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US Federal Reserve Meeting: फेडरल रिजर्व की चल रही बैठक, ब्याज दरें बढ़ना तय... जानें भारत पर क्या होगा असर

अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक चल रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच हो रही इस बैठक के नतीजों को लेकर दुनियाभर की नजरें टिकी हैं. पढ़ें ये खबर...

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अमेरिका का फेडरल रिजर्व
अमेरिका का फेडरल रिजर्व
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 0.25% बढ़ सकती हैं ब्याज दरें
  • US में 40 साल की ऊंचाई पर महंगाई

अमेरिका में फेडरल रिजर्व (US Fed) की बैठक शुरू हो चुकी है. कोरोना महामारी के बाद अमेरिका के केंद्रीय बैंक के सामने बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के बीच संतुलन स्थापित करने की वैसी ही चुनौती है, जैसी भारत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सामने है. जानें क्या होगा फेडरल रिजर्व की इस बैठक का परिणाम, भारत और दुनियाभर में इसका क्या असर होगा?

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40 साल की ऊंचाई पर महंगाई

अमेरिका में इस समय महंगाई का स्तर 40 साल के उच्च स्तर पर है. ऐसे में रूस के यूक्रेन पर हमले (Russia Attack on Ukraine) के बाद कच्चे तेल की कीमतों में आग लगने से महंगाई में और इजाफा हुआ है. इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोत्तरी कर सकता है. ये 2018 के बाद ब्याज दरों में इस तरह की पहली बढ़ोत्तरी होगी.

इस बात की संभावना इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि फेडरल रिजर्व के प्रमुख जीरोम पॉवेल इस महीने की शुरुआत में ब्याज दरें बढ़ाए जाने के संकेत दे चुके हैं. वाल स्ट्रीट (अमेरिका के शेयर बाजार) के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि ब्याज दरों में इस साल एक से ज्यादा बार बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है. 

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भारत और दुनिया पर असर

अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजार को भी उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व 0.25% तक ब्याज बढ़ा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में बाजार पर मामूली फर्क पड़ सकता है. लेकिन अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में इससे ज्यादा बढ़ोत्तरी करता है तो दुनियाभर के शेयर बाजार में इसका असर देखा जा सकता है. भारतीय शेयर बाजारों में भी इसका असर दिख सकता है, क्योंकि अमेरिका के नीतिगत ब्याज दर बढ़ाने से एफआईआई का रुख अमेरिका की तरफ हो सकता है और इससे वो भारतीय बाजार से बड़े पैमाने पर निकासी कर सकते हैं.

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