अभी कुछ दिन पहले ही 17 दिन तक उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को कड़ी मशक्कत के बाद निकाला गया. इस बीच, उत्तरकाशी टनल को बनाने वाली कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (Navayuga Engineering Company Limited) के विवाद सामने आए हैं. यह कंपनी करीब चार दशक से अस्तित्व में है. कंपनी को साल 1986 में सी. विश्वेश्वर राव ने शुरू किया था, जो इंफ्रास्ट्रक्चर और सिविल इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन के तौर पर काम करती है.
नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (NECL) चारधाम का हिस्सा उत्तरकाशी टनल बनाने का काम कर रहा था, जो ढह गई थी. इस घटना ने कंपनी को चर्चा में ला दिया और कई कठिन सवाल पूछे गए. यह पहली बार नहीं है, जब नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड विवाद में आई है. इसका पहला विवाद वाडारेवु और निजामपट्टनम पोर्ट इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Vanpic) के संबंध में था, जो एक दशक से चला आ रहा है.
दूसरा क्या रहा कंपनी का विवाद
2006 में निम्मगड्डा प्रसाद ने अपने जेनेरिक फर्म मैट्रिक्स लेबोरेटरीज में 71.5 फीसदी हिस्सेदारी 736 मिलियन डॉलर में बेच दी. प्रसाद ने संयुक्त अरब अमीरात स्थित रास अल खैमाह इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (RAKIA) को इसमें भागीदार बनाया. हालांकि इसके बाद यह प्रोजेक्ट कई कारणों से विवादों आ गया, जिसमें जमीन का अधिग्रहण भी एक था. अब इसके बाद 2011 में नवयुग की एंट्री हुई और इसने वैनपिक में और रास अल खैमा से प्रसाद की ज्यादातर हिस्सेदारी ले ली.
सीबीआई की जांच में फंसा प्रोजेक्ट
जमीन विवाद को लेकर मई 2012 में कंपनी के राव से सीबीआई ने पूछताछ की. आरोप था कि निम्मगड्डा प्रसाद ने अपनी हिस्सेदारी NECL को बेची थी और साथ ही रास अल खैमा द्वारा इक्विटी को कम कर दिया. इस ट्रांजेक्शन ने एनईसीएल को Vanpic में एंट्री की सुविधा पेश की, जिससे उसे 65 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई और इस कारण परियोजना का नियंत्रण नवयुग के हाथों में चला गया. आंध्र प्रदेश में तत्कालीन सरकार ने सवाल उठाया कि उसके पूर्व अनुमति के बिना ये काम हुआ.
2018 में भी आया था एक विवाद
वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2008 में प्रसाद ने वैनपिक परियोजना में 25 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसकी कीमत बाद में सीबीआई ने कम से कम 17,000 करोड़ रुपये आंकी थी. नवयुग की कहानी में 2018 में एक और मोड़ आया, जब मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कंपनी रजिस्ट्रार ने एक साइट निरीक्षण किया, जब उन्हें पता चला कि नवयुग समूह से संबंधित 47 संस्थाओं का एक ही पता था. जबकि विशाखापत्तनम मुख्यालय वाले समूह का कॉर्पोरेट कार्यालय हैदराबाद, क्षेत्रीय कार्यालय पूरे भारत और मध्य पूर्व में भी अधिक स्थानों पर फैले हुए हैं.
कंपनी किस तरह के प्रोजेक्ट पर करती है काम
गौरतलब है कि नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनईसीएल) के कारोबार का एक बड़ा हिस्सा ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) मॉडल पर काम करता है. इसके अलावा कंपनी पब्लिक और प्राइवेट भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कार्य भी करता है.