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'मां नहीं रहीं... अधूरा महसूस कर रहा हूं.' देश के इस बड़े उद्योगपति के लिए दुखद खबर

Anil Agarwal Mother Passed Away: अनिल अग्रवाल ने बेहद मार्मिक तरीके से सोशल मीडिया पर अपने मां को याद किया है, 'आज, हमारी मां हमें छोड़कर मोक्ष यात्रा पर निकल गईं. मां के बिना मैं अधूरा महसूस करूंगा. उनकी कमी जीवन में किसी तरह पूरी नहीं की जा सकेगी.

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Anil Agarwal Mother Passed Away
Anil Agarwal Mother Passed Away

वेदांता ग्रुप के चेयरमैन और अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की मां का निधन हो गया है. माताजी के निधन के बाद खुद अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर इस दुखद खबर की जानकारी दी है. उद्योगपति अनिल अग्रवाल हमेशा अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं. 

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अनिल अग्रवाल ने बेहद मार्मिक तरीके से सोशल मीडिया पर अपने मां को याद किया है, 'आज, हमारी मां हमें छोड़कर मोक्ष यात्रा पर निकल गईं. मां के बिना मैं अधूरा महसूस करूंगा. उनकी कमी जीवन में किसी तरह पूरी नहीं की जा सकेगी. उन्होंने ही हमें उस जगह पहुंचाया जहां आज हम हैं. उनके बताए रास्ते पर हम चल पाएं, ये ही उस पवित्र आत्मा को हमारी श्रद्धांजलि होगी.'

पिछले हफ्ते ही मां को लेकर कही थीं ये बातें
 

अनिल अग्रवाल की मां की उम्र 90 साल से ज्यादा थी. वो कुछ दिनों में मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती थीं. पिछले हफ्ते अनिल अग्रवाल ने कहा था, कि उनकी मां एक फाइटर हैं और उनसे स्ट्रॉन्ग मैंने किसी को नहीं देखा. मेटा (फेसबुक) में उन्होंने बताया था, मेरी मां की उम्र 90 साल ज्यादा है और हर दिन को दिल से जीना जानती हैं. लंदन में, जहां वे मेरे साथ पिछले बीस साल रहने आती रही हैं, वे नए कपड़े पहनने, नए रेस्टोरेंट में जाने नए लोगों से मिलने, एक्सपीरियंस लेने में सबसे आगे रही हैं.

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25 सितंबर को अनिल अग्रवाल ने लिखा था, 'कुछ सप्ताह पहले वे अपनी नवजात प्रपौत्री से मिलने मुंबई आईं. दुर्भाग्य से, विजिट के दौरान वे गंभीर रूप से बीमार हुईं और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा. अभी भी, जब डॉक्टर्स ने बताया है की उनकी कंडीशन क्रिटिकल है, वो हमें पहचान रही हैं और मुझे देखकर उनके चेहरे पर संतुष्टि की चमक आ जाती है.जब भी मैं उनसे मिलने जाता हूँ, तो वे आंखें खोलकर हाथ उठाती हैं, और कहती हैं, 'सब ठीक है, तुम काम पर जाओ'.

आईसीयू में चुपचाप उनके सिरहाने बैठे, मैं याद कर रहा हूं पटना के अपने बचपन के दिन. मैं बहुत छोटा था, तो बाबूजी उन्हें महीने के सिर्फ 400 रुपये देते और वो सारे खर्चे संभाल लेती, मकान का किराया, चार बच्चों को संभाल लेती, पड़ोसियों की मदद करती और घर पर आने और रहने वाले मेहमानों की देखभाल भी करती.

उन्हें हमेशा अपने देश से प्यार रहा है और उन्होंने हमें उसी तरह की परवरिश भी दी है, मुझे याद है कि वे हमें देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी से मिलने सदाकत आश्रम ले गई थीं, और जयप्रकाश नारायण जी से भी, जो हमारे घर के नजदीक ही रहते थे। मुझे यह भी याद है कि वे हमें पटना में आयोजित 'कांग्रेस अधिवेशन' में ले गई थीं और तय किया था कि हम सभी खादी पहनें. मुझे याद है कि जब पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु हुई थी, तो वे कितनी रोई थीं. मुझे यह भी याद है कि उन्होंने हमें लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में बताया था, जिन्होंने देश को एक दिन का उपवास करने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि देश में सभी को अनाज मिल सके. उन्होंने उनका पालन किया और हमसे भी करवाया.

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मेरी माँ दूसरों का हमेशा ख्याल रखतीं हैं. मुझे कई बार आश्चर्य होता कि , किस तरह ब्रिटिशर्स सहित वे आसपास के लोगों का दिल जीत लेती, भले ही वे अंग्रेजी बोलने में उतनी सहज नहीं हों.

लोगों के साथ वे इतनी कंफर्टेबल कैसे हो जाती हैं, मुझे नहीं पता. लेकिन, मैं बस इतना जानता हूँ कि वह एक बहुत ही खास इंसान हैं जिन्होंने ना सिर्फ मेरे और पूरी फैमिली के जीवन को छुआ है बल्कि उन सभी लोगों की लाइफ को एनरिच किया है जिन्हें वे जानती हैं. मां! मुझे अभी आपसे बहुत कुछ सीखना है.' 

अनिल अग्रवाल का दुनियाभर में बड़ा कारोबार

गौरतलब है कि अनिल अग्रवाल मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. उन्‍होंने करीब 20 साल की उम्र में ही बिहार छोड़ दिया था और मुंबई आ गए थे. साल 1970 में कबाड़ के धंधे से अपने कारोबारी जीवन की शुरुआत की. पहले बिजनेस से इन्‍हे अच्‍छी कमाई हुई. साल 1976 में अनिल अग्रवाल ने शमशेर स्‍टर्लिंग केबल कंपनी को खरीदा था. लेकिन बाद में धंधा नहीं चला. 

अनिल अग्रवाल ने कबाड़ बेचकर अपना कारोबार शुरू किया और माइंस और मेटल के सबसे बड़े कारोबारियों में से एक बन गए. आज Vedanta Ltd का मार्केट कैप करीब 2 लाख करोड़ रुपये हो चुका है. Anil Agrawal की वेदांता लिमिटेड मेटल और खनन सेक्‍टर में शामिल है. यह मिनरल्स, ऑयल एंड गैस को निकालती है, जो किसी खजाने से कम नहीं है.

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कंपनी के करीब 64 हजार कर्मचारी और कॉन्ट्रैक्टर्स हैं. मुख्य रूप से यह कंपनी भारत, अफ्रीका, आयरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में है. वेदांता लिमिटेड का मुख्यालय मुंबई में है. बता दें सोशल मीडिया पर काफ़ी एक्टिव रहने वाले अनिल अग्रवाल अक्सर अपनी ज़िंदगी और करियर से जुड़ीं दिलचस्प कहानियां शेयर करते रहते हैं. 

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