भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए वेदांता समूह ने दिलचस्पी दिखाई है. वेदांता समूह ने बुधवार को बताया कहा कि उसने इस संबंध में प्रारंभिक अभिरुचि पत्र (ईओआई) दाखिल कर दिया है.
कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘बीपीसीएल के लिए वेदांता का ईओआई हमारे मौजूदा तेल और गैस कारोबार के साथ संभावित तालमेल का मूल्यांकन करने के लिए है.’’ भारत के दूसरे सबसे बड़े ईंधन रिटेलर कंपनी में वेदांता की दिलचस्पी उसके अपने मौजूदा तेल और गैस कारोबार के साथ तालमेल रहने के कारण है.
रिलायंस ने बनाई दूरी
इससे पहले देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बीपीसीएल की बिक्री के लिए लगी प्रारंभिक बोली में शामिल नहीं होकर सबको चौंका दिया था. दरअसल, रिलायंस को इसकी खरीद के लिए तगड़ा दावेदार माना जा रहा था. रिलायंस इंडस्ट्रीज अगर बीपीसीएल को खरीदती तो उसकी बाजार हिस्सेदारी में 22 फीसदी का इजाफा होता और वह देश की नंबर एक तेल कंपनी बन जाती. लेकिन उसने न जाने क्यों रुचि ही नहीं दिखाई.
सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी
आपको बता दें कि सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है और इसके लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) दाखिल करने की अंतिम तिथि 16 नवंबर थी. बीपीसीएल में सरकार की कुल 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सरकार के पास कंपनी के 114.91 करोड़ शेयर हैं जो कंपनी की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर है. इसके अलावा रणनीतिक खरीदार को कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण भी ट्रांसफर किया जाएगा. हालांकि इसमें कंपनी की नुमालीगढ़ रिफाइनरी में 61.65 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल नहीं है.
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चार बार बढ़ी थी डेडलाइन
बीपीसीएल को ढंग का खरीदार नहीं मिलने की वजह से बार-बार ईओआई जमा कराने की तारीख को आगे बढ़ाया जा रहा था. सबसे पहले ईओआई जमा कराने की तारीख दो मई थी, लेकिन 31 मार्च को इसे बढ़ाकर 13 जून किया गया. डेडलाइन पूरा होने से पहले ही 26 मई को इसे बढ़ाकर 31 जुलाई किया गया. इसके बाद 30 सितंबर तक की डेडलाइन दी गई. एक बार फिर 16 नवंबर तक का मौका दिया गया. ईओआई के जरिए ये मालूम होता है कि कौन-कौन सी कंपनियां या निवेशक बोली लगाने को इच्छुक हैं.