नैस्डेक कंपोजिट इंडेक्स (Nasdaq Composite Index) की ट्रेडिंग का चार्ट पैटर्न शुक्रवार को 'डेथ क्रॉस' (Death Cross) फॉर्मेशन में आ गया. स्टॉक मार्केट में इंवेस्ट करने वाले इस पैटर्न को अशुभ मानते हैं. यह गिरावट का संकेत माना जाता है.
अतीत के आंकड़े बताते हैं कि 'डेथ क्रॉस' चार्ट पैटर्न कुछ समय के लिए स्टॉक मार्केट पर काफी भारी पड़ता है और इससे बाहर निकलने में मार्केट को अच्छा-खासा वक्त निकल जाता है. हालांकि, अभी यह अस्पष्ट नहीं है कि ये फॉर्मेशन आने वाले समय में ट्रेडर्स को ज्यादा परेशान करने वाला है या ये थोड़े दिन की बात है.
दो साल में पहली बार अशुभ संकेत
इससे पहले अप्रैल, 2020 में Nasdaq डेथ क्रॉस फॉर्मेशन में आया था. वह समय अलग था. कोरोना महामारी की वजह से चारों और Uncertainty थी. निवेशकों को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि ये गिरावट कितने लंबे वक्त तक रहने वाली है. अभी अनिश्चितता काफी हद तक कम हो गई है. ऐसे में मार्केट के डेथ क्रॉस फॉर्मेशन की वजह से निवेशकों में एक तरह की बेचैनी देखने को मिल रही है.
नवंबर से अब तक आ चुकी है काफी गिरावट
नैस्डेक कंपोजिट इंडेक्स शुक्रवार को 1.2 फीसदी लुढ़क गया. 19 नवंबर, 2021 को नैस्डेक काफी उच्च स्तर पर था. उस समय से अब तक उसमें करीब 16 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
डेथ क्रॉस पैटर्न के बारे में जानिए (What is Death Cross Pattern)
यह स्टॉक मार्केट के ट्रेडिंग पैटर्न से जुड़ा होता है. चार्ट पर एक खास तरह का पैटर्न बनने पर इसे डेथ क्रॉस पैटर्न कहते हैं. जब इंडेक्स का 50 दिनों का मुविंग एवरेज 200 दिनों के मुविंग एवरेज से नीचे चला जाता है तो चार्ट पर यह पैटर्न बन जाता है. डेथ क्रॉस पैटर्न बनने के बाद निवेशक सतर्क हो जाते हैं क्योंकि उनका मानना होता है कि शेयर बाजार में अब लंबे समय तक गिरावट जारी रह सकती है.
डेथ क्रॉस बनने पर साल 2000 में क्रैश हुआ था मार्केट
साल 2000 के जून महीने में भी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर कुछ इसी प्रकार का डेथ क्रॉस पैटर्न बना था. उस वक्त डॉटकॉम कंपनियों के शेयर बुरी तरह लुढ़क गए थे. जनवरी 2008 में भी ऐसा ही डेथ क्रॉस पैटर्न बनता हुआ देखा गया. इसके बाद पूरी दुनिया में आर्थिक संकट देखने को मिला था.
इन वजहों से आ रही है गिरावट
कमजोर वैश्विक संकेतों और रूस-यूक्रेन तनाव के बीच भारतीय शेयर बाजारों सहित दुनियाभर के शेयर बाजारों में भी पिछले कुछ समय से गिरावट का दौर देखा जा रहा है. भारतीय बाजारों की बात की जाए तो विदेशी संस्थागत निवेशक की तरफ से भारी बिकवाली भी एक वजह रही है. बीएसई सेंसेक्स इस साल की शुरुआत से 2.28 फीसटी टूटा है, जबकि निफ्टी में 1.98 फीसदी की गिरावट आई है.