Who is Mohini Mohan Dutta: दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) की वसीयत खोली गई है, जिसमें एक नए नाम ने सनसनी फैला दी है. यह नाम मोहिनी मोहन दत्ता (Mohini Mohan Datta) है, जिसे वसीयत में एक बड़ा अमाउंट मिला है. वसीयत में इस व्यक्ति को 500 करोड़ रुपये दिया गया है. इस खुलासा से ना सिर्फ टाटा फैमिली में हर कोई हैरान है, बल्कि हर किसी के लिए एक बड़ा आश्चर्य करने वाली बात है.
बिजनेस टुडे पर छपी खबर द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जमशेदपुर के गुमनाम कारोबारी मोहिनी मोहन दत्ता (Mohini Mohan Datta) को ₹500 करोड़ से ज्यादा का अमाउंट दिया गया है. इस खबर के सामने आने के बाद अब ये सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि मोहिनी मोहन दत्ता कौन हैं? टाटा के जीवन में उनकी क्या भूमिका रही थी और उन्हें भारत के सबसे फेमस उद्योगपतियों में से एक की वसीयत में सबसे बड़ी व्यक्तिगत संपत्ति क्यों मिली?
कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता?
मोहिनी मोहन दत्ता रतन टाटा से पहली बार 1960 के दशक की शुरुआत में जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में मिले थे. उस समय, रतन टाटा 24 साल के थे और अपने फैमिली के विशाल साम्राज्य में अपना रास्ता तलाश रहे थे. उस मुलाकात ने दत्ता के जीवन की दिशा बदल दी थी. ये रतन टाटा के काफी करीबी माने जाते थे.
वहीं कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि दत्ता सिर्फ एक सहयोगी नहीं थे, बल्कि वे अपने आपको रतन टाटा का दत्तक पुत्र बताते हैं. हालांकि, वसीयत (Ratan Tata Will) और उसके साथ दिए गए कोडसिल में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की और न ही कानूनी तौर पर बच्चों को गोद लिया.
अक्टूबर 2024 में टाटा के अंतिम संस्कार के समय दत्ता ने कहा था कि हम पहली बार जमशेदपुर में डीलर्स हॉस्टल में मिले थे, जब रतन टाटा 24 साल के थे. उन्होंने मेरी मदद की और मुझे वाकई आगे बढ़ाया.
टाटा ग्रुप के साथ जुड़ा है कारोबार
दत्ता की कारोबार जर्नी टाटा समूह के साथ जुड़ी हुई है. ताज ग्रुप के साथ अपना करियर शुरू करने के बाद, उन्होंने स्टैलियन ट्रैवल एजेंसी की स्थापना की, जिसका 2013 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स के एक विभाग, ताज सर्विसेज के साथ विलय हो गया.
टाटा कैपिटल द्वारा अधिग्रहण किए जाने और बाद में इसे थॉमस कुक (इंडिया) को बेचने से पहले टाटा इंडस्ट्रीज के पास इस व्यवसाय में 80% हिस्सेदारी थी. दत्ता रीब्रांडेड टीसी ट्रैवल सर्विसेज में डायरेक्टर रह चुके हैं और उनके पास टाटा समूह की कंपनियों के शेयर हैं, जिनमें टाटा कैपिटल भी शामिल है.
बिजनेस से भी बढ़कर है संबंध
दत्ता का टाटा फैमिली से संबंध व्यवसाय से कहीं आगे तक फैला हुआ है. उनकी बेटी ने ताज होटल्स में अपना करियर शुरू करने के बाद करीब एक दशक तक टाटा ट्रस्ट्स के साथ काम किया. वह दिसंबर 2024 में मुंबई के NCPA में टाटा की जयंती समारोह में भी अतिथि थे. इस कार्यक्रम में टाटा के सबसे भरोसेमंद नाम शामिल हुए थे.
दत्ता फैमिली को क्या-क्या मिलेगा
अपने गहरे संबंधों के बावजूद, दत्ता ने वसीयत पर असंतोष जाहिर किया है. वसीयत के अनुसार, वह टाटा की बची हुई संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा पाने के हकदार हैं, जिसमें 350 करोड़ रुपये से ज्यादा की बैंक डिपॉजिट, पेंटिंग और घड़ियों जैसी निजी चीजों की नीलामी से होने वाली आय शामिल है.
दत्ता को 650 करोड़ रुपये होने की उम्मीद
बाकी दो तिहाई हिस्सा रतन टाटा की सौतेजी बहनों शिरीन जीजीभॉय और डीनना जीजीभॉय को जाता है, जो टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी डेरियस खंबाटा और मेहली मिस्त्री के साथ वसीयत बनाने वालों में शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दत्ता को उम्मीद है कि उनकी विरासत की कीमत ₹650 करोड़ होगी.
नोएल टाटा का नहीं है नाम!
टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा और उनके बच्चों का नाम वसीयत में स्पष्ट रूप से नहीं है, जबकि जिमी टाटा को ₹50 करोड़ मिलने वाले हैं. वसीयत को अभी बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रमाणित किया जाना बाकी है.