दो हजार रुपये का नोट बंद होने से क्या सबसे ज्यादा मुश्किल रियल एस्टेट डेवलपर्स को होगी? ये सवाल शुक्रवार को आरबीआई के फैसले के बाद से उठने लगा है. दरअसल, आरबीआई ने ऐलान कर दिया है की 30 सितंबर तक दो हजार नोटों को बैंको में बदलवाना होगा. ऐसे में नगदी को खपाने का सबसे बड़े साधन माने जाने वाले रियल एस्टेट का जिक्र तेज हो गया है. हर किसी को लगता रहा है की डेवलपर्स के पास इस दो हजार के नोट की सबसे अधिक संख्या होगी. लेकिन ये धारणा सही नहीं है. 2016 की नोटबंदी में चोट खाए डेवलपर्स अब नगदी रखने में यकीन नहीं करते.
डेवलपर्स के पास नहीं बची नगदी
2016 की नोटबंदी के बाद से डेवलपर्स की हालत खराब थी और उनके पास नगदी के रूप में ज्यादा रकम नहीं बची थी. हालांकि कोविड के बाद से बाजार में तेजी आने के बाद जरूर डेवलपर्स अपना घाटा कम करने लगे थे. लेकिन इसके बावजूद जो रकम नगदी के तौर पर बाजार में आ रही थी वो काफी हद तक पुराने बकाये और अनसिक्योर्ड लोन को चुकाने में इस्तेमाल की जा रही थी. इसके साथ ही निर्माण, नई जमीन की खरीद में नगदी लगातार खपाई जा रही है.
सर्कुलेशन में नहीं था दो हजार का नोट
पिछले दो-तीन साल से दो हजार के नोटों का सर्कुलेशन काफी कम हो गया था. ऐसे में जो डेवलपर्स कैश में डील कर भी रहे थे, उनके पास 2000 रुपये के नोट जमा नहीं हो रहे थे. अगर किसी के पास नगदी है भी तो 500 के नोट के तौर पर ही मौजूद है. काफी समय से डेवलपर्स को एहसास था की दो हजार का नोट बंद किया जा सकता है. लिहाजा वो इसे लेने और रखने से परहेज कर रहे थे. वैसे भी जिस तरह से दो हजार के नोट को आरबीआई छापना बंद कर चुका था तो ये चलन में काफी हद तक कम हो गया था.
सर्किल रेट मार्केट रेट में घटा अंतर
नोएडा जैसे इलाकों में डेवलपर्स के पास पैसा कैश ना होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि यहां पर सर्किल रेट और मार्केट रेट में खास अंतर नहीं है. ऐसे में कैश पेमेंट लेने की गुंजाइश काफी कम हो जाती है और उनके पास में नगदी किसी भी रूप में मौजूद नहीं है. जिन डेवलपर्स के यहां पर अधिक मार्केट रेट होने की वजह कैश लेने की गुंजाइश थी भी तो वो इनकम टैक्स के नियमों के चलते और अपनी आगे की विस्तार योजनाओं की वजह से एकाउंट्स को व्हाइट में रखकर मजबूत करने में लगे थे.
साथ ही उनके महंगे रेट मार्केट में ओपन होने की वजह से भी वो कैश लेने को तैयार नहीं थे. उनको पता था की प्रीमियम प्रॉपर्टी को लेकर संबंधित सरकारी विभाग अधिक चौकस रहते हैं और इसमें ब्लैक एडजस्ट करने में वो आयकर विभाग और दूसरी जांच एजेंसीज की नजर में आ सकते हैं. इसके साथ ही टाटा, गोदरेज, प्रेस्टीज जैसे बड़े ब्रैंड्स के नोएडा में आने से प्रीमियम प्रोजेटेक्स में कॉम्प्लिएंसेस को लेकर ज्यादा सख्ती बरती जाने लगी थी.
प्लॉट्स में ज्यादा है कैश का चलन
कैश का चलन आम तौर पर प्लॉटेड प्रोजेक्ट में होता है जहां पर प्लॉट बेचने में नगद का लेनदेन होता है. लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट एनसीआर में संगठित तौर पर गिने चुने हैं और ज्यादातर यह असंगठित मार्केट में होता है. जहां पर की कैश का लेन-देन हो सकता है. लेकिन यह लेनदेन इतनी बड़ी मात्रा में नहीं हो सकता कि उनके पास बहुत ज्यादा पैसा जमा हो जाए. इनका टिकट साइज छोटा होता है और ये तुरंत नई जमीनों को खरीदने में नगद खपा देते हैं.
कैश खपाने के कई रास्ते मौजूद
जिन डेवलपर्स के पास कमर्शियल प्रॉपर्टी में सर्किल रेट-मार्केट रेट में अंतर होने की वजह से कैश लेने की गुंजाइश थी भी तो वह लोग सप्लायर्स को, कांट्रेक्टर को मैटेरियल्स खरीदने के लिए कैश में भुगतान कर रहे थे और किसी भी तरीके से कैश को अपने पास जमा नहीं कर रहे थे.
दो हजार के नोट बंद होने का असर
गुड़गांव जैसे मार्केट में अब 2000 के नोट बंद होने की वजह से बिक्री बढ़ने लगी है और कस्टमर मार्केट में तेजी से कैश डील के लिए आ रहे हैं. ऐसे में अब डेवलपर्स के पास जरूर ही 2000 के नोट नगदी के रूप में जमा हो सकते हैं, लेकिन उसे खपाने के लिए डेवलपर्स एडवांस रकम अपने सप्लायर को दे सकते हैं. उसके अलावा जमीन खरीदने में यह पैसा खपाया जा सकता है और उसके साथ ही कॉन्टैक्टर्स को भी लेबर के वेतन के लिए एडवांस पेमेंट किया जा सकता है.
इस तरीके से वो इस पैसे का इस्तेमाल कर लेंगे और यह 2000 के नोट बंद होने की खबर जून और सितंबर तिमाही में उनकी बिक्री बढ़ाने में मददगार साबित होगी. इसके साथ ही अब डेवलपर्स को पता है वो कुल कितना कैश खपा सकते हैं. लिहाजा आगे कोई भी नगद लेनदेन करते वक्त वो ध्यान रखेंगे अधिकतम कितना कैश वो ले सकते हैं. इसी गुणा भाग के आधार पर वो आगे नगद में बिक्री करेंगे.
डेवलपर्स सर्कुलेशन में रखते हैं पैसा
डेवलपर्स का कहना है कि वह किसी भी तरीके से कैश को अपने पास रखते नहीं है और सारा पैसा सर्कुलेशन में रहता है, जो बिजनेस का सबसे बड़ा नियम है. ऐसे में अगर कहीं किसी के पास कैश भी रहा था तो वह जमीन खरीदने में इस्तेमाल हो रहा था और इस वजह से भी उनके पास में किसी तरह की 2000 के नोट की होल्डिंग नहीं है.
दो हजार के नोट बंद होने का फायदा
2000 के नोट के बंद होने से सबसे ज्यादा कमर्शियल सेगमेंट को फायदा मिलने की उम्मीद है क्योंकि वहां पर नगदी का लेनदेन ज्यादा होता है और उसके प्राइस भी अक्सर सर्किल रेट से ज्यादा होते हैं. ऐसे में वहां पर जरूर कुछ ट्रांजेक्शन कैश में देखने को मिलेंगे जो डेवलपर्स को मुनाफा देने की वजह बन सकता है और डेवलपर्स इस पैसे को कैश इन हैंड या फिर अपने अग्रिम भुगतान के रूप में एडजस्ट करने का काम कर सकते हैं. लेकिन कैश इन हैंड का भी नियम है और ये पैसा कहीं ना कहीं बैंक से निकाली रकम से मेल खाना चाहिए.
किस सेगमेंट को मिलेगा दो हजार की नोटबंदी का फायदा?
इसके अलावा 2000 का नोट बंद होने से हाई एंड आइटम जैसे कि महंगे फोन (आईफोन या फिर प्रीमियम एंड्रॉयड फोन) और ज्वेलरी, महंगे कपड़े, प्रीमियम पर्स, बैग और शूज की बिक्री बढ़ सकती है. डीएलएफ एंपोरियम जैसे मॉल्स में बिकने वाले सामानों को खरीदने अगले 4 महीने तक लोग ज्यादा संख्या में जा सकते हैं, जिससे सरकार को भी जीएसटी के तौर पर ज्यादा रेवेन्यू मिल सकता है और इसका फायदा इकोनॉमी को हो सकता है.