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बर्मा के जंगलों में घूमे, गिरवी रखे मां के कंगन.. ऐसे आयुर्वेद का पर्याय बनी Himalaya

इन दिनों ट्विटर पर #BoycottHimalaya भले ट्रेंड कर रहा हो, लेकिन Himalaya वह भारतीय कंपनी है जो स्वदेशी और आयुर्वेद की पहचान है. 1930 में जब ये कंपनी शुरू हुई थी तो इसके फाउंडर को अपनी मां के कंगन तक गिरवी रखने पड़े थे...

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आयुर्वेदिक उत्पाद बनाती है Himalaya
आयुर्वेदिक उत्पाद बनाती है Himalaya
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बनाई दुनिया की पहली नेचुरल एंटी-हाइपरटेंशन दवा
  • Liv 52 ने दिलाई कंपनी को एक नई पहचान
  • 2 रुपये किराये वाली बिल्डिंग में शुरू की रिसर्च

हिमालया (Himalaya Drug Company) आज आयुर्वेद उत्पादों का जाना पहचाना नाम है. कुछ दिन से ट्विटर पर इसकी एक ‘Halal Policy' की फोटो वायरल हो रही है और #BoycottHimalaya ट्रेंड भी कर रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी की शुरुआत कैसे हुई, कितनी परेशानियां आईं और आज ये दुनिया में आयुर्वेद का पर्याय कैसे बनी...?

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बर्मा के जंगल में घूमे
हिमालया के फाउंडर मोहम्मद मनाल (Mohammed Manal) के इसे शुरू करने की कहानी काफी दिलचस्प है. 1930 में वह बर्मा के जंगलों में किसी काम से गए, तो स्थानीय लोगों को बिदके हुए हाथियों को नियंत्रित करने के लिए एक जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करते देखा. आयुर्वेद की इस ताकत से वह काफी प्रभावित हुए और आयुर्वेद को दुनिया में पहचान दिलाने के काम में लग गए. ये दौर देश में स्वदेशी आंदोलन की नींव मजबूत हो जाने और महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन वाला था. 

गिरवी रखे मां के कंगन
अपने सपनों को पूरा करने के लिए मोहम्मद मनाल बर्मा से देहरादून चले आए. यहां आकर उन्होंने रॉवोल्फिया सर्पेंटिना नाम की जड़ी-बूटी पर अपना रिसर्च शुरू किया. ये वही जड़ी बूटी थी, जिसे उन्होंने बर्मा में हाथियों पर इस्तेमाल करते हुए देखा था.अपना काम शुरू करने के लिए उन्हें अपनी मां की चूड़ियां गिरवी रखनी पड़ीं थीं. देहरादून में उन्होंने दो रुपये प्रति महीना के किराये पर इनामुल्लाह बिल्डिंग में शोध चालू किया और 1934 में Serpina दवा लॉन्च की. ये दुनिया की पहली नेचुरल एंटी-हाइपरटेंशन दवा है.

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Liv 52 ने दिलाई नई पहचान
1934 में पेश Serpina की सफलता के बाद मोहम्मद मनाल ने आयुर्वेद में अपने रिसर्च को और बढ़ा दिया. फिर कंपनी ने 1955 में बनाया Liv.52 नाम का एक टॉनिक, जो इंसानों में लीवर के सही से काम करने में बड़ा मददगार है. इसके बाद धीरे-धीरे Himalaya ने अपना विस्तार हर्बल दवाओं के अलावा पर्सनल केयर, बेबी केयर और वेलनेस सेगमेंट में किया. कंपनी ने 2001 में अपना Himalaya Neem Face Wash पेश किया जो आज उसके सबसे ज्यादा बिकने वाले उत्पादों में से एक है.

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भारत से शुरुआत करने वाली Himalaya आज एक मल्टीनेशनल कंपनी है. कंपनी 100 से ज्यादा देशें में अपने उत्पाद बेचती है. 92 साल में कंपनी का कारोबार एशिया से लेकर यूरोप, अमेरिका, मध्य एशिया और अफ्रीका जैसे महाद्वीपों तक फैल चुका है.

क्यों ट्रेंड कर रहा #BoycottHimalaya?
पिछले कुछ दिनों से ट्विटर पर #BoycottHimalaya काफी ट्रेंड कर रहा है. दरअसल ये सब शुरू हुआ हिंदू जागृति समिति, श्रीराम सेना और बजरंग दल की कर्नाटक में हलाल मीट बैन की मांग से. इसके बाद ट्विटर पर Himalaya की एक फोटो भी वायरल होने लगी, जिस पर कंपनी की Halal Policy का जिक्र किया गया है. इसी के साथ #BoycottHimalaya ट्रेंड की शुरुआत हो गई.

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लेकिन Himalaya की वेबसाइट के मुताबिक कंपनी एनिमल क्रुएलिटी के खिलाफ सख्त पॉलिसी अपनाती है. यहां तक कि वो अपने प्रोडक्ट्स और दवाओं की एनिमल टेस्टिंग का भी विरोध करती है.

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