शेयर बाजार (Share Market) में निवेश कर हर कोई करोड़पति बनना चाहता है. अक्सर लोगों को लगता है कि शेयर बाजार पैसे बनाने की मशीन है, और इसी वजह से 90 फीसदी रिटेल निवेशक पैसे बना नहीं पाते हैं. इसके अलावा सस्ते शेयर के चक्कर में फंस जाते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई गवां देते हैं. अधिकतर रिटेल निवेशक महंगे शेयर खरीदने से कतराते हैं. लेकिन रिटर्न देने में महंगे शेयर पीछे नहीं रहते. आज हम आपको देश के सबसे महंगे शेयर के बारे में बताने वाले हैं. हालांकि देश के सबसे महंगे शेयर MRF के भाव में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. गुरुवार यानी 10 नवंबर को इसका शेयर करीब 9 फीसदी तक टूटकर 87470 रुपये पर बंद हुआ था. दरअसल इस गिरावट की वजह कंपनी के दूसरी तिमाही के नतीजे हैं.
14 नवंबर को MRF का शेयर 86179 रुपये पर कारोबार करते हुए बंद हुआ. लेकिन आप ये जानकर चौंक जाएंगे एक समय में MRF के एक शेयर की कीमत मात्र 11 रुपये थी. MRF आज भारतीय स्टॉक मार्केट का सबसे महंगा शेयर है और इसमें निवेश करना हर किसी के बस की बात नहीं. तो आखिर ऐसी क्या वजह है कि MRF के शेयर इतने महंगे हैं?
MRF के शेयरों ने निवेशकों को कैसे बनाया करोड़पति?
बिज़नेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 27 अप्रैल 1993 को MRF के एक शेयर की कीमत 11 रुपये थी. लेकिन इसी शेयर ने 7 नवंबर 2022 को अपना ऑल टाइम हाई लगाया और शेयर की कीमत 96000 तक पहुंच गई थी. इन 29 सालों में कंपनी ने अपने निवेशकों को तगड़ा रिटर्न दिया है.
इसे ऐसे समझिये कि अगर आज से 29 साल पहले किसी ने MRF में 1 लाख रुपये निवेश किये होते तो आज की तारीख में उसकी कीमत करीब 78 करोड़ रुपये होती. कुछ साल पहले एक निजी बिजनेस चैनल के कार्यक्रम में कॉल करके किसी दर्शक ने बताया था कि उसके दादा ने 1990 में MRF के 20000 शेयर खरीदे थे, जिन्हें वो बेचना चाहता था. सिर्फ कल्पना कीजिये कि अगर उस व्यक्ति ने अब तक शेयर नहीं बेचे होंगे, तो उनकी कीमत लगभग 172 करोड़ रुपये हो गई होगी.
क्यों इतने महंगे हैं MRF के शेयर?
अब आपके भी मन में भी ये सवाल आ रहा होगा कि निवेशकों को करोड़पति बनाने वाले MRF के शेयर की कीमत इतनी ज्यादा क्यों हैं? दरअसल इसके पीछे की वजह है- शेयरों को स्प्लिट (Stock Split) ना करना. एंजल वन के मुताबिक 1975 के बाद से ही MRF ने आज तक अपने शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं किया है. इसके पहले साल 1970 में 1:2 और 1975 में 3:10 के अनुपात में MRF ने बोनस शेयर इशू किये थे.
वजह चाहें जो भी हो, लेकिन कई लोग ये मानते हैं कि शेयरों को स्प्लिट नहीं करने से लंबे समय तक निवेशक उससे जुड़े रहते हैं.
वॉरेन बफेट की कंपनी के एक शेयर की कीमत करोड़ों में
मशहूर बिजनेसमैन और अमेरिकी निवेशक वॉरेन बफेट भी शेयर को स्प्लिट नहीं करने का समर्थन करते हैं. वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे का शेयर भी इसी का नतीजा है. बर्कशायर हैथवे क्लास-ए के एक शेयर की कीमत करीब 4.70 लाख अमेरिकी डॉलर है. भारतीय रुपयों में बात करें तो इसके एक शेयर की कीमत करीब 3.7 करोड़ रुपये है.
क्या होता है शेयर के स्प्लिट होने का मतलब
जब शेयर की कीमत ज्यादा होती है तो रिटेल निवेशक उसमें निवेश से कतराते हैं. ऐसे में कंपनी शेयर को स्प्लिट कर देती है. मान लीजिये कि किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत 1000 रुपये है और मार्केट में उस कंपनी के कुल एक लाख शेयर हैं. अब कंपनी ने शेयर को स्प्लिट करके कुल दो लाख शेयर बना दिए तो इससे एक शेयर की कीमत घटकर 500 रुपये हो जाएगी.
इसी तरह अगर 1 लाख शेयरों को स्प्लिट करके 10 लाख शेयर बना दिए जाएं तो 1 शेयर की कीमत 100 रुपये हो जाएगी. ऐसे में जब शेयर की कीमत कम होगी तो छोटे निवेशक भी बिना झिझके उसमें निवेश कर पाएंगे. ये कुछ इसी तरह का है कि जैसे आपके पास एक पिज़्ज़ा है और आपने उसके 4 हिस्से कर दिए. बाद में आपने उसी पिज़्ज़ा के 8 हिस्से कर दिए. ऐसे में पिज़्ज़ा तो एक ही रहेगा लेकिन उसके हिस्सों की संख्या बढ़ जाएगी.
क्या है MRF का बिजनेस
MRF का पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है. इसकी शुरुआत 1946 में टॉय बैलून बनाने से हुई थी. 1960 के बाद से इन्होंने टायर बनाना शुरू कर दिया. अब यह कंपनी भारत में टायर की सबसे बड़ी निर्माता है. भारत में टायर इंडस्ट्री का मार्केट करीब 60000 करोड़ रुपये का है. JK Tyre, CEAT Tyre इत्यादि MRF की कॉम्पिटिटर हैं.