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RNEL के मर्जर से मुकेश अंबानी ने क्यों वापस खींचे कदम, आखिर क्या है बड़ा प्लान?

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में उसकी सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड का विलय होने वाला था. लेकिन अब इस प्लान से मुकेश अंबानी ने अपने कदम वापस खींच लिए हैं. इसके पीछे कई बड़ी वजहें बताई जा रही हैं.

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रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन-मुकेश अंबानी.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन-मुकेश अंबानी.

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने अपनी सब्सिडियरी ने रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड (RNEL) का विलय नहीं करने का फैसला किया है. करीब एक साल पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज में इसके विलय का निर्णय लिया गया था. लेकिन कुछ दिन पहले ही कंपनी ने अपने कदम वापस खींच लिए हैं. इसके पीछे की वजह पिछले सप्ताह के अंत में एक्सचेंजों को दी गई एक विज्ञप्ति में रिलायंस ने बताया था. कंपनी ने कहा कि न्यू एनर्जी/रिन्यूएबल बिजनेस और निवेश स्ट्रक्चर की समीक्षा के आधार पर बोर्ड ने रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड का विलय नहीं करने का फैसला किया है. बोर्ड ने ये फैसला लिया है कि रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड के माध्यम से ही कारोबार करना चाहिए.

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बड़े पैमाने पर निवेश की योजना

ग्रीन एनर्जी रिलायंस इंडस्ट्रीज का बड़ा फोकस एरिया रहा है. साल 2021 में मध्य में रिलायंस इंडस्ट्रीज से अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने तीन साल की अवधि में 75,000 करोड़ रुपये के निवेश की रूपरेखा तैयार करने का ऐलान किया था. इसमें से 60,000 करोड़ रुपये चार गीगा फैक्ट्रियों की स्थापना पर खर्च किए जाने थे. जामनगर में रखे जाने के लिए कंपनी फोटोवोल्टिक सेल, ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रोलाइजर, बैटरी और फ्यूल सेल बनाने वाली थी. अन्य 15,000 करोड़ रुपये वैल्यू चेन और पार्टनरशिप डेवलप करने में निवेश किए जाने थे. 

ग्रीन एनर्जी पर बहुत जोर

वेल्थ मैनेजमेंट फर्म KRChoksey Group के प्रमोटर और एमडी देवेन चोकसी ने बिजनेस टुडे को बताया- 'ग्लोबल फंड्स का आज ग्रीन एनर्जी पर बहुत जोर है. इसलिए रिलायंस अपने दोनों कारोबार को अलग रखना चाहती है. RIL अपने O2C व्यवसाय (ऑयल टू केमिकल) व्यवसाय के साथ जब ग्रीन एनर्जी में फंड जुटाने की बात आती है, तो इसे एक निवारक के रूप में देखा जा सकता है.

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इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगले 25-30 वर्षों में कच्चा तेल व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन कंपनियों को ग्रीन एनर्जी पर सही कदम उठाने की जरूरत है. इस लिहाज से यह फैसला न सिर्फ स्मार्ट और तार्किक है, बल्कि एक कारोबारी अनिवार्यता भी है.

दूसरा बड़ा कारण 

एम एंड ए एडवाइजरी फर्म सिंघी एडवाइजर्स के संस्थापक और एमडी महेश सिंघी का मानना है कि समय के साथ नंबर बड़े होंगे. ग्रीन एनर्जी में रहने वालों के पास ऋण और इक्विटी दोनों के माध्यम से पूंजी तक महत्वपूर्ण पहुंच होगी. यह अभी भी एक व्यवसाय है जिसमें कई चलते हुए हिस्से हैं और बहुत सी चीजें आकार ले रही हैं. RIL ने गुणवत्ता वाले निवेशकों से बड़ी मात्रा में धन जुटाने की क्षमता देखी होगी.

रिलायंस जैसे अधिकांश बड़े समूह पूंजी की न्यूनतम संभावित लागत पर पैसा जुटाने में सक्षम होंगे. इसमें कोई संदेह नहीं है कि ग्रीन एनर्जी बड़ी मात्रा में पूंजी लाएगी. चोकसी का कहना है कि यह निर्णय RNEL को चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरने और बाद में अपने दम पर पूंजी जुटाने का मौका भी देता है. उन्होंने कहा कि यह एक मजबूत व्यवसाय मॉडल बनाने के अवसर के साथ एक स्वतंत्र यूनिट होगी.

 

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