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WPI Inflation: थोक महंगाई ने दी राहत, अगस्त में लगातार तीसरे महीने आई नरमी

अगस्त 2022 में खुदरा महंगाई भले ही फिर से बढ़कर 7 फीसदी पर पहुंच गई, लेकिन थोक महंगाई के आंकड़ों ने राहत दी है. अगस्त के दौरान थोक महंगाई की दर में लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई. हालांकि अभी भी यह 10 फीसदी के पार ही है, जो सरकार के लिए चिंता की बात है.

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थोक महंगाई में आई गिरावट
थोक महंगाई में आई गिरावट

अगस्त महीने में भले ही खुदरा महंगाई (Retail Inflation) के मोर्चे पर सरकार को झटका लगा हो, लेकिन थोक महंगाई (Wholesale Inflation) के आंकड़ों में लगातार नरमी जारी है, जो बड़ी राहत की बात है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त महीने में थोक महंगाई की दर 12.41 फीसदी पर आ गई. यह लगातार तीसरा ऐसा महीना है, जब थोक महंगाई के मोर्चे पर सरकार को राहत मिली है. इससे पहले जुलाई महीने में थोक महंगाई (Wholesale Inflation July 2022) की दर 13.93 फीसदी रही थी. थोक महंगाई की दर जून महीने में 15.18 फीसदी और मई में 15.88 फीसदी रही थी.

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जून से नरम हो रही थोक महंगाई

डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई से पहले थोक महंगाई की दर लगातार तीन महीने 15 फीसदी से ऊपर रही थी.  अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई थी. इसके बाद मई में थोक महंगाई ने नया रिकॉर्ड बना दिया था. हालांकि जून में आंकड़ों में कुछ नरमी आई थी. साल 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार निकली थी. इससे पहले साल 1998 के दिसंबर महीने में थोक महंगाई 15 फीसदी से ऊपर रही थी. जुलाई के बाद अब यह फिर से 15 फीसदी के नीचे आई है.

लगातार 15वें महीने 10% से ऊपर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अगस्त 2022 में 12.41 फीसदी रही. अगस्त महीने के दौरान खनिज तेलों, खाने-पीने के सामानों, क्रूड पेट्रोलियम, नेचुरल गैस, बेसिक मेटल्स, केमिकल्स और इससे जुड़े उत्पाद, बिजली आदि की कीमतें साल भर पहले की तुलना में अधिक रहीं. यही कारण है कि थोक महंगाई के आंकड़ों में नरमी तो आई, लेकिन बड़ी गिरावट नहीं आ पाई. थोक महंगाई अगस्त 2022 में लगातार 15वें महीने 10 फीसदी से ज्यादा है.

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हाल के महीनों के आंकड़ों को देखें तो पिछले एक साल से थोक महंगाई लगातार बढ़ रही थी और जून महीने से इस ट्रेंड पर ब्रेक लगा है. इस साल फरवरी में थोक महंगाई थोड़ी कम होकर 13.43 फीसदी पर आई थी. हालांकि इसके बाद रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) शुरू हो जाने के चलते कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगी और कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ने लगे. इसका परिणाम हुआ कि महंगाई की दर भी तेजी से बढ़ने लगी. मार्च महीने में थोक महंगाई एक फीसदी से ज्यादा उछलकर 14.55 फीसदी पर पहुंच गई थी.

खुदरा महंगाई ने बढ़ाई चिंता

अभी दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी महंगाई की मार से परेशान हैं. भारत की ही बात करें तो अगस्त महीने के दौरान खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) ने एक बार फिर सरकार और रिजर्व बैंक की चिंता बढ़ा दी. जुलाई में खुदरा महंगाई कम होकर पांच महीने के निचले स्तर 6.71 फीसदी पर आ गई थी. अगस्त में यह फिर से 7 फीसदी पर पहुंच गई. इस तरह खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के अपर लिमिट 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है. खुदरा महंगाई लगातार आठवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय लक्ष्य की सीमा से ऊपर है. इससे पहले जून महीने में खुदरा मुद्रास्फीति कुछ कम होकर 7.01 प्रतिशत रही थी. मई में खुदरा महंगाई की दर 7.04 फीसदी रही थी. अप्रैल के महीने में खुदरा मंहगाई दर 7.79 फीसदी रही थी. रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई की दर के हिसाब से नीतिगत दरों पर फैसला लेता है.

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