भारत के होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) मुद्रास्फीति में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. भारत की थोक महंगाई दर दिसंबर 2022 में घटकर 4.95 फीसदी पर आई, जो नवंबर 2022 में 5.85 फीसदी पर थी. थोक महंगाई दर में आई कमी के पीछे मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं और कच्चे पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में आई गिरावट है. इससे पहले खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर में भी गिरावट आई थी. दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.72 फीसदी पर आ गई थी, जो नवंबर में 5.88 फीसदी पर थी.
दिसंबर में थोक खाद्य महंगाई दर में भी गिरावट आई है और ये घटकर 0.65 फीसदी पर आ गई है, जो नवंबर 2022 में 2.17 फीसदी रही थी. बता दें कि दिसंबर 2021 में थोक महंगाई दर 14.27 फीसदी पर थी.
इस वजह से आई गिरावट
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दिसंबर 2022 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खनिज तेल, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खाद्य उत्पादों, कपड़ा और रसायन और रासायनिक उत्पादों की कीमतों में गिरावट की वजह से आई है. थोक महंगाई दर फरवरी 2021 के बाद पहली बार 5 फीसदी से नीचे आई है. फरवरी 2021 में यह दर 4.83 फीसदी रही थी.
नियंत्रण में स्थिति
मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है. दिसंबर 2022 में ये 3.37 फीसदी पर आ गई है, जो नवंबर 2022 में 3.59 फीसदी थी. पिछले कुछ महीनों के दौरान महंगाई दर को मैनेज करना सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए मुश्किल चुनौती रही है. हालांकि, अब कम होती दरें इस बात के संकेत दे रही हैं कि स्थिति नियंत्रण में आ रही है.
खुदरा महंगाई दर
दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) 5.72 फीसदी पर रही, जिसमें लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा बड़ी राहत की बात यह है कि अब महंगाई दर RBI द्वारा निर्धारित कैप के दायरे में है. हालांकि RBI ने खुदरा महंगाई दर को 4 फीसदी से नीचे ले जाने का लक्ष्य रखा है.
बढ़ती ब्याज दरों पर पड़ेगा असर?
महंगाई दर लगातार गिरावट से उम्मीद बंधी है कि RBI अब ब्याज दरों को लेकर विचार करेगा. क्योंकि लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी से होम लोन समेत सभी तरह के लोन महंगे हो गए हैं. ऐसे में महंगाई को काबू में देखकर आगामी MPC की बैठक में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में इजाफे की गति को स्लो कर सकता है.