अमेरिका और ईरान के बीच जिस तरह से तनाव का स्तर बढ़ा है, उससे भारत बहुत चिंतित है. मौजूदा परिस्थिति में भारत के लिए जिनता अहम अमेरिका है, उतना ही ईरान. इन दोनों देशों के बीच जंग से भारत को दोहरा झटका लगेगा. इसलिए भारत लगातार दोनों देशों के संपर्क में है और तनाव कम करने में भूमिका निभा रहा है.
हालात पर भारत की पैनी नजर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर हालात पर नजर बनाए हुए हैं. अगर ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध छिड़ता है तो ऐसी स्थिति में भारत को खाड़ी इलाके से अपने नागरिकों को निकालने में ओमान और यूएई की मदद लेनी पड़ सकती है. इन दोनों देशों में लाखों भारतीय रहते हैं. इससे पहले भी इन इलाकों में युद्ध की स्थिति में भारत को अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा था. साथ ही ये दोनों देश भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता भी हैं.
आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम एशियाई देशों में करीब 80 लाख भारतीय रहते हैं. इसमें से ज्यादातर लोग फारस की खाड़ी के तटीय इलाकों में रहते हैं. बड़ी तादाद में भारतीय ईरान के करीब संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कतर और कुवैत में रहते हैं. विदेश मंत्रालय के मुताबिक अकेले ईरान में 4000 भारतीय रहते हैं.
माना जा रहा है कि ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन को इन इलाकों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए पाकिस्तान की जरूरत होगी. अपने पाले में पाकिस्तान को लाने के लिए अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक मदद कर सकता है. इससे आतंकवाद पर पाकिस्तान को घेरने की भारतीय मुहिम को झटका लग सकता है. साथ ही अफगानिस्तान में भी भारत के हितों को नुकसान हो सकता है. यही वजह है कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान से संपर्क साधा है. भारत और ईरान अफगानिस्तान को लेकर एक समान सोच रखते हैं. भारत को इन दोनों देशों के तनाव से कम से कम 10 मोर्चे पर झटके लगने वाले हैं.
1. तेल की कीमतों में उछाल
भारत अपनी जरूरत का 83 फीसदी तेल आयात करता है. अमेरिका और ईरान में तनाव से कच्चे तेल की कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है. शुक्रवार को ब्रेंट कच्चा तेल 4.4 फीसदी चढ़कर 69.16 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था. वहीं शुक्रवार को रुपया 42 पैसे टूटकर 71.80 प्रति डॉलर पर आ गया था. जंग की स्थिति में फॉरेन एक्सचेंज पर भी असर पड़ेगा. फॉरेन एक्सचेंज बढ़ा तो मंदी और गहरा जाएगी. खाने-पीने की चीजें, ट्रांसपोर्ट, रेलवे, प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पर भी असर बुरा असर होगा. बेरोजगारी और बढ़ जाएगी.
2. तेल सप्लाई बाधित होने की आशंका
दोनों देशों के बीच अगर युद्ध हुआ तो भारत को कच्चा तेल आयात करने में भी दिक्कत आएगी. हालांकि बीते दो सालों में ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव से भारत ने ईरानी तेल आयात को बहुत कम कर दिया है. लेकिन अब भी देश में तेल बड़ी तादाद में ईराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात से आयात होता है. जिसका भारत तक पहुंचने का रास्ता फारस की खाड़ी में होर्मुज गलियारे से होकर गुजरता है. आर्थिक मंदी के इस दौर में भारत के लिए मंहगा तेल आयात जेब पर बहुत भारी पड़ सकता है.
3. शेयर बाजार में भूचाल
अमेरिका और ईरान टकराने का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर दिख रहा है. भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं है. शुक्रवार को सेंसेक्स 162.03 अंक की गिरावट के साथ 41,464.61 पर बंद हुआ, निफ्टी की क्लोजिंग 55.55 प्वाइंट नीचे 12,226.65 पर हुई थी. उसके बाद सोमवार को भी बाजार में भूचाल आ गया है. सेंसेक्स 700 अंक और निफ्टी 200 से ज्याद अंक लुढ़क गया. विदेशी निवेशक बड़े पैमाने से भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं. वहीं भारतीय निवेशक भी घबराए हुए हैं.
4. सोने के दाम में उछाल
आर्थिक अनिश्चितता के दौरान में हर निवेशक सोने जैसे सुरक्षित विकल्प को अपना रहे हैं. जिससे सोने की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव चार महीने के ऊंचे स्तर पर है. भारत के हाजिर और वायदा बाजार में सोमवार को सोना 41,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को तोड़ते हुए नई ऊंचाई पर चला गया है. जानकारों की मानें तो अगले तीन महीने में बुलियन में तेजी का रुख बना रह सकता है.
5. महंगाई हो जाएगी बेकाबू
कच्चे तेल के दाम बढ़ने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा होगा. तेल के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी. इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा. सरकार लगातार महंगाई दर पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. अमेरिका-ईरान के बीच युद्ध की स्थिति में महंगाई दर के मोर्चे पर सरकार को तगड़ा झटका लग सकता है. नवंबर में खुदरा महंगाई दर में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई. नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.62 फीसदी से बढ़कर 5.54 फीसदी हो गई.
6. बढ़ जाएगा वित्तीय घाटा
मोदी सरकार हर हाल से इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए वित्तीय घाटे को कम करने में जुटी है. 30 नवंबर तक देश का वित्तीय घाटा 8.07 लाख करोड़ रुपये है. वित्तीय घाटा पर जब लगाम लगेगा तभी आर्थिक ग्रोथ संभव है. लेकिन ईरान और अमेरिका में तनाव से सरकार की आमदनी घट जाएगी और खर्चा बढ़ जाएगा. इससे वित्तीय घाटे के मोर्चे पर सरकार को झटका लग सकता है.
7. घर लौट आएंगे खाड़ी देशों से लोग
अगर अमेरिका और ईरान में और तनाव बढ़ता है तो खासकर खाड़ी देशों में रह रहे लोग देश वापस आ जाएंगे. इससे भारत को आर्थिक मोर्चे पर काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि खाड़ी देशों ज्यादातर लोग कमाने के लिए गए हैं और वहां से बड़ी तादाद में वो अपने घरों में पैसे भेजते हैं. जो पैसा आता है वो देश के विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम हिस्सा बनाता है. अगर ये लोग वापस आए तो भारत को काफी नुकसान होगा.
8. निवेश पर पड़ेगा असर
भारत के अमेरिका और ईरान दोनों के साथ अच्छे ताल्लुकात हैं. निवेश के नजरिये से भी ये दोनों देश भारत के लिए अहम है. अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होने पर भारत को काफी बड़ा आर्थिक नुकसान होगा. भारत का 100 बिलियन से ज्यादा का व्यापार खाड़ी देशों से होता है, और बड़े पैमाने पर निवेश भी इन इलाकों से है. खासकर चाबहार बंदरगाह पर असर पड़ सकता है. भारत और ईरान के बीच साल 2014 में चाबहार बंदरगाह और जाहेदान रेल परियोजना को लेकर करार हुआ था. दोनों देशों के बीच चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत के 85 मिलियन डॉलर निवेश का समझौता हुआ था, युद्ध की स्थिति में इस पर भी असर पड़ेगा.
9. निर्यात पर असर
पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 32,800 करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात किया था. जिसमें से करीब 10,800 करोड़ रुपये का बासमती चावल केवल ईरान को निर्यात किया गया था. इस बार भी बड़े पैमाने से चावल निर्यात को लेकर ईरान से समझौता हुआ है. लेकिन युद्ध की स्थिति में निर्यात पर असर पड़ना लाजिमी है. इसके अलावा चाय के निर्यात को झटका लग सकता है.
10. 5 ट्रिलियन लक्ष्य नहीं होगा पूरा
सबसे अहम मोदी सरकार ने 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत को अमेरिका और ईरान दोनों की अप्रत्यक्ष रूप से जरूरत होगी. बड़े पैमाने पर इन दोनों देशों से भारत में निवेश की उम्मीद की जा रही है. क्योंकि 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लिए विदेशी निवेशकों की अहम भूमिका होगी. जानकारों का कहना है कि सरकारी निवेश के जरिये इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. ऐसे में अमेरिक-ईरान के बीच युद्ध हुआ तो भारत इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा.