अमेरिका की चर्चित फूड चेन मैकडॉनल्ड्स और भारत में कंपनी के एमडी विक्रम बख्शी के बीच के 10 साल पुराने विवाद की चर्चा एक बार फिर होने लगी है. इस विवाद की वजह से साल 2017 से मैकडॉनल्ड्स के कई स्टोर बंद पड़े रहे. लेकिन अब मैकडॉनल्ड्स इंडिया और विक्रम बख्शी के बीच के विवाद का सेटलमेंट होने वाला है. हालांकि इस पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT)ने रोक लगा दी है. लेकिन सवाल है कि मैकडॉनल्ड्स और विक्रम बख्शी के बीच विवाद की शुरुआत क्यों हुई थी. आज हम आपको सिलसिलेवार इस बारे में बताने जा रहे हैं.
बात की शुरुआत साल 1995 से करते हैं. साल 1995 में विक्रम बख्शी और मैकडॉनल्ड्स ने 50:50 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ एक ज्वाइंट वेंचर बनाया. इस वेंचर का नाम कनॉट प्लाजा रेस्टोरेंट लि. यानी CPRL था. यह समझौता 25 साल के अवधि के लिए किया गया. इस ज्वाइंट वेंचर कंपनी को मैकडॉनल्ड के नाम से देश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में बिक्री केन्द्र खोलने का जिम्मा दिया गया.
विक्रम बख्शी और मैकडॉनल्ड्स के बीच विवाद की शुरुआत पहली बार साल 2008 में हुई. तब मैकडॉनल्ड्स ने CPRL में बख्शी की 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश की थी. यह मामला दुनिया की निगाहों में तब आया जब 2013 में बख्शी को मिसमैनेजमेंट का आरोप लगाते हुए CPRL के प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया.
इसके बाद सितंबर 2013 में बख्शी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) पहुंच गए. एनसीएलटी ने बख्शी के पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें फिर से पद पर बिठा दिया गया. अब बारी मैकडॉनल्ड्स की थी और कंपनी ने बख्शी को पद पर बिठाने के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में चुनौती दे दी.
इस बीच, अगस्त 2017 में मैकडॉनल्ड्स ने CPRL के साथ फ्रेंचाइजी एग्रीमेंट खत्म कर लिया. इसके बाद उत्तर और पूर्व भारत के करीब 165 मैकडॉनल्ड्स आउटलेट्स अचानक बंद हो गए. लेकिन इस साल मई के शुरुआती हफ्ते में मैकडॉनल्ड्स और CPRL ने NCLAT को कहा कि वे सेटलमेंट करना चाहते हैं.
इसके बाद NCLAT ने दोनों कंपनियों को सेटलमेंट की शर्तें जमा करने का निर्देश दिया. लेकिन इस बीच अब आवास एवं शहरी विकास निगम (हुडको) ने याचिका दायर कर दी है. हुडको विक्रम बख्शी से अपना बकाया वसूलना चाहती है.