अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को अब उनके मंच पर बिकने वाले आयातित उत्पादों के मूल देश का नाम दर्शाना होगा. यानी अब कंपनियों को साफ-साफ ग्राहकों को बताना होगा कि ये प्रोडक्ट किस देश से इंपोर्ट किया गया है. (Photo: File)
दरअसल केंद्र सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट यह जानकारी दी. केंद्र की ओर से मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि विधिक मापविज्ञान अधिनियम और नियमों के तहत ई-कॉमर्स साइटों को अपने प्रोडक्ट के बारे में विस्तार से बताना होगा. (Photo: File)
कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर किसी उत्पाद के मूल देश का नाम दर्शाया गया हो. यानी प्रोडक्ट कहां बना है, उस देश का नाम ग्राहकों को बताना जरूरी होगा. (Photo: File)
केंद्र सरकार के अधिवक्ता अजय दिगपॉल के जरिये दायर हलफनामे में कहा गया है
कि इन नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराना राज्यों और संघ शासित प्रदेशों
का दायित्व है. (Photo: File)
दिगपॉल ने कहा कि जहां भी इन नियमों का उल्लंघन पाया जाएगा, संबंधित राज्यों या संघ शासित प्रदेशों के विधिक मापविज्ञान विभाग के अधिकारी कानून के तहत कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे. अमेजन ने अपनी साइट पर मौजूद सभी कंपनियों से कहा है कि 10 अगस्त तक अपने उत्पादों के कंट्री ऑफ ओरिजिन की जानकारी साझा करें. (Photo: File)
हलफनामे में कहा गया है कि इस पर आवश्यक परामर्श सभी ई-कॉमर्स कंपनियों,
सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के विधिक मापविज्ञान नियंत्रकों को भेजा
गया है. ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए अब प्रोडक्ट के 'कंट्री ऑफ ओरिजिन' का
जिक्र अनिवार्य होगा. (Photo: File)
केंद्र की ओर से यह हलफनामा एक जनहित याचिका पर दायर किया गया है. अधिवक्ता अमित शुक्ला की ओर से दायर याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने की आग्रह किया गया था कि ई-कॉमर्स मंचों पर बिकने वाले उत्पादों पर उनका (उत्पादों) विनिर्माण करने वाले देशों का नाम दर्शाया जाना चाहिए. (Photo: File)
सरकार की इस कोशिश से ग्राहक यह जान सकेंगे कि ये सामान चीन में बना है या इसके बाहर. इसके आधार पर वे यह तय कर सकते हैं कि चीन में बना सामान खरीदें या नहीं. वहीं नई ई-कॉमर्स पॉलिसी आने वाली है. ई-कॉमर्स पॉलिसी के ड्राफ्ट में मिले सुझावों के बाद अब ग्राहकों के लिए 'मेड इन इंडिया' प्रोडक्ट को पहचान करना आसान होगा. (Photo: File)