scorecardresearch
 
Advertisement
बिजनेस

दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी

दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 1/10
धीरूभाई अंबानी की सफलता की कहानी देश-दुनिया के करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है. आज उनकी पुण्यतिथि है. इस मौके पर हम आपको उनकी कामयाबी के साथ-साथ मजबूत हौसले के बारे में बता रहे हैं. (Photo: File)
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 2/10
धीरूभाई अंबानी की सबसे बड़ी खासियत थी कि वे अपने लक्ष्य को हमेशा बड़ा रखते थे. धीरूभाई अंबानी में कारोबार को लेकर काफी जुनून था. साल 1982 में उन्होंने अपनी हिम्मत से शेयर मार्केट के कुछ बड़े दलालों को बता दिया था कि उनकी कंपनी रिलायंस के साथ खेलना कितना खतरनाक साबित हो सकता है. (Photo: File)
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 3/10
धीरूभाई अंबानी की हिम्मत की वजह से ही 18 मार्च 1982 को मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में हाहाकार मच गया था. दरअसल कलकत्ता में बैठे हुए वायदा व्यापार के कुछ बड़े शेयर दलालों ने रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के शेयरों को गिराने की साजिश रच डाली. इसके लिए एक साथ बड़े पैमाने पर शेयर बेचे जाने लगे. (Photo: File)
Advertisement
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 4/10
दलालों की उम्मीद थी कि गिरते रिलायंस शेयर के भाव में कोई बड़ी संस्थागत निवेशक कंपनी नहीं खरीदेगी, और यह भी नियम था कि कंपनी अपने शेयर खुद नहीं खरीद सकती. एक तरह से दलाल धीरूभाई अंबानी को नौसिखिया मान रहे थे. (Photo: File)
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 5/10
लेकिन जैसे ही दलालों की इस चाल के बारे में  धीरूभाई अंबानी को पता चला, उन्होंने अपने कुछ दलालों को रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के शेयर खरीदने के लिए राजी कर लिया. जिसके बाद असली खेल शुरू हुआ, एक तरफ कलकत्ता में बैठे दलाल मुंबई स्टॉक मार्केट में रिलायंस के शेयर बिकवा रहे थे तो दूसरी तरफ अंबानी के ऑपरेटर खरीदते जा रहे थे. जिससे शेयर का भाव नीचे गिरने के बजाय ऊपर चढ़ने लगा और फिर शेयर का भाव बढ़कर 125 रुपये हो गया. (Photo: File)
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 6/10
कुल मिलाकर रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के 11 लाख शेयर बिके और जिसमें से 8 लाख 57 हजार अंबानी के दलालों ने ही खरीद लिए. कलकत्ता में बैठे दलाल अपनी ही चाल में फंस गए. उसके बाद जब अगला शुक्रवार आया तो अंबानी के दलालों ने कलकत्ता में बैठे दलालों से शेयर मांगे. वायदा व्यापार होने की वजह से दलालों के पास शेयर नहीं थे. 131 रुपये में जुबानी शेयर बेचने वालों की हालत खराब थी. क्योंकि तब तक असली शेयर का भाव बहुत ऊपर पहुंच चुका था और अगर समय मांगते तो दलालों को 50 रुपये प्रति शेयर बदला चुकाना पड़ता. (Photo: File)
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 7/10
लेकिन धीरूभाई के दलालों ने कलकत्ता के ऑपरेटरों को वक्त देने से मना कर दिया. जिसके बाद कलकत्ता में बैठे दलालों को बड़ा झटका लगा और उन्हें ऊंचे दाम पर रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के शेयर खरीदकर देने पड़े. उस समय यह मामला इतना बड़ा हो गया था कि तीन दिन तक स्टॉक मार्केट को बंद करना पड़ गया था. जिसके बाद रिलायंस के शेयर्स ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरूभाई अंबानी के इस कदम से रिटेल निवेशकों को कंपनी को लेकर और विश्वास बढ़ गया है. धीरूभाई अंबानी स्टॉक मार्केट के मसीहा बन गए थे. (Photo: File)
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 8/10
धीरूभाई अंबानी के हौसले की एक और कहानी

धीरूभाई अंबानी कहते थे कि वे  'जीरो क्लब' के कारोबारी हैं. यानी उन्हें कारोबार विरासत में नहीं मिली है. धीरूभाई अंबानी अक्सर कहा करते थे कि उनकी सफलता ही उनकी सबसे बड़ी बाधा है. जब उन्होंने विमल ब्रांड के साथ कपड़ा कारोबार शुरू किया तो कपड़ा बनाने वाली कई कंपनियों ने अपने वितरकों को उनका माल बेचने से मना कर दिया. (Photo: File)
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 9/10
वितरकों के इस कदम से धीरूभाई घबराए नहीं. इसे एक चुनौती के रूप में लिया और वे खुद पूरे देश में घूमकर नए व्यापारियों से मिले. उन्होंने वितरकों से कहा कि अगर नुकसान होता है तो मेरा, और मुनाफा होता है तो आप खुद रख लेना. उन्हें विश्वास था कि कामयाबी मिलेगी. (Photo: File)
Advertisement
दो वाकये जो बताते हैं क्यों कारोबार के किंग थे धीरूभाई अंबानी
  • 10/10
इससे वितरकों का उनपर ऐसा भरोसा कायम हुआ कि एक दिन में विमल के 100 शोरूम का उद्घाटन हुआ. गौरतलब है कि 1966 में अंबानी ने अहमदाबाद के नैरोड़ा में एक कपड़ा मिल की स्थापना की, जो कुछ ही वर्षों में विमल ब्रांड के नाम से देश का जाना-माना ब्रांड बन गया. (Photo: File)
Advertisement
Advertisement