नौकरी करने वाले लोगों के लिए प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ की रकम बेहद अहम होती है. इसके लिए ईपीएफ अकाउंट खोला जाता है, जिसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों ही समान रूप से पैसे का कंट्रीब्यूशन करते हैं.
वहीं, सरकार की ओर से ब्याज भी दिया जाता है. ईपीएफ अकाउंट के सिर्फ यही
फायदे नहीं हैं. इस अकाउंट में पैसे जमा कर आप पेंशन ले सकते हैं. इसके साथ
ही लोन और इंश्योरेंस की भी सुविधा दी जाती है. आइए जानते हैं
इंश्योरेंस, लोन और पेंशन की इस खास सुविधा के बारे में..
इंश्योरेंस
ईपीएफ अकाउंट होल्डर को 6 लाख तक का बीमा मिलता है. दरअसल, इम्पलॉई डिपॉज़िट लिंक्ड इंश्योरेंस योजना (EDLI) एक बीमा योजना है जिसकी सुविधा EPFO कर्मचारी को प्रदान की जाती है. EPFO के एक एक्टिव कर्मचारी की अगर सेवा अवधि के दौरान मृत्यु हो जाती है
तो उसके नॉमिनी को 6 लाख रुपये तक का एकमुश्त भुगतान किया जाता है.
बीमा
का लाभ परिवार के सदस्यों, कानूनी उत्तराधिकारी या सदस्य के नॉमिनी व्यक्ति
द्वारा लिया जा सकता है. मिलने वाली बीमा राशि पिछले 12 महीनों में मिले
मासिक वेतन का 30 गुना होती है, जिसकी अधिकतम सीमा 6 लाख रुपये है.
लोन
EPFO कर्मचारियों को अपने PF खातों से कुछ पैसे निकालने और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए पर्सनल लोन के रूप में उपयोग करने की अनुमति देता है. आप मेडिकल इमरजेंसी, घर या प्लॉट की खरीद, विवाह, शिक्षा, नौकरी जाने की स्थिति में, होम लोन का भुगतान करने के लिए लोन ले सकते हैं.
पेंशन
ईपीएफ अकाउंट पर रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा मिलती है.
हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि कर्मचारी ने 10 साल की नौकरी की हो. PF में
पेंशन राशि, कर्मचारी के पेंशन योग्य वेतन और पेंशन योग्य सेवा पर निर्भर
करती है.
पेंशन योग्य वेतन को आसान भाषा में समझें तो ये देखा जाता है कि कर्मचारी
की पेंशन योजना में आने से पहले पिछले 12 महीनों के मासिक वेतन का औसत
कितना है. इसके साथ ही कर्मचारी की वास्तविक सेवा अवधि ही पेंशन योग्य सेवा
के रूप में मानी जाती है.
आपको बता दें कि ईपीएफ अकाउंट में किसी भी कर्मचारी के मूल वेतन का 12 प्रतिशत योगदान कर्मचारी करता है, और इतना ही अंशदान नियोक्ता या कंपनी की ओर से भी किया जाता है.
कंपनी या नियोक्ता के हिस्से के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी या
1250 रुपये, जो भी कम हो, का योगदान कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में
होता है. जबकि, शेष 3.67 फीसदी रकम का योगदान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ)
में होता है. इसके उलट, कर्मचारी के हिस्से का पूरा 12 फीसदी ईपीएफ यानी
आपके पीएफ फंड में जाता है.