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'जब गरीब-किसान के हाथ में पहुंचेगा पैसा, तभी सुधरेगी अर्थव्यवस्था'

'जब गरीब-किसान के हाथ में पहुंचेगा पैसा, तभी सुधरेगी अर्थव्यवस्था'
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भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए मोदी सरकार लगातार बड़े फैसले ले रही है. अब उम्मीद की जा रही है कि आगामी वर्ष से अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगा. लेकिन अर्थव्यवस्था पर पैनी नजर रखने वालों का कहना है कि जब गरीबों और किसानों के हाथ में पैसे पहुंचेंगे, तभी देश की आर्थिक रफ्तार पटरी पर लौटेगी. (Photo: File)
'जब गरीब-किसान के हाथ में पहुंचेगा पैसा, तभी सुधरेगी अर्थव्यवस्था'
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दरअसल देश-दुनिया में गहराती आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए सरकार ने कॉरपारेट टैक्स में कटौती, रीयल एस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन देने, बैंकिंग क्षेत्र में नई पूंजी डालने, गैर-बैंकिंग क्षेत्र में नकदी संकट को दूर करने सहित हाल में कई कदमों की घोषणा की है. इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई. इससे पिछली तिमाही में यह 5 प्रतिशत और उससे भी पिछली तिमाही में 5.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी. (Photo: File)
'जब गरीब-किसान के हाथ में पहुंचेगा पैसा, तभी सुधरेगी अर्थव्यवस्था'
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आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा आर्थिक सुस्ती के दौर में सरकार को अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए पूंजीगत खर्च बढ़ाने की जरूरत है. उनका कहना है कि राजकोषीय घाटा बढ़ने की कीमत पर भी यदि पूंजीगत खर्च बढ़ता है तो इसे बढ़ाया जाना चाहिए. लेकिन राजस्व घाटे को नियंत्रित रखते हुए 'शून्य' पर लाने के प्रयास होने चाहिए. (Photo: File)
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नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लॉयड इकनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के विशिष्ट फेलो सुदीप्तो मंडल का कहना है कि सरकार को आगामी बजट में एक तरफ सब्सिडी नियंत्रित करने पर ध्यान देना चाहिए जबकि दूसरी तरफ पूंजी निर्माण और मांग बढ़ाने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए. इस तरह के उपायों को अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में मदद मिलेगी. (Photo: File)
'जब गरीब-किसान के हाथ में पहुंचेगा पैसा, तभी सुधरेगी अर्थव्यवस्था'
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सुदीप्तो मंडल ने कहा, 'गरीबों, किसानों के हाथ में अधिक पैसा आना चाहिए, जबकि इस तरह की सब्सिडी को कम किया जाना चाहिए जिसका लाभ गरीबों को न मिलकर कंपनियों और अमीरों के हाथ में पहुंचता है. पीएम किसान जैसी योजनाओं का लाभ केवल किसानों को ही नहीं बल्कि सभी गरीबों को दिया जाना चाहिए. सरकार को समूचे गरीब तबके लिए एक 'सार्वभौमिक मूलभूत आय' योजना पेश करनी चाहिए.' (Photo: File)
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जानकारों का साफ कहना है कि लोगों के हाथ में पैसा आएगा, और वो इस पैसे को खर्च करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विनिवेश के क्षेत्र में इस सरकार का रिकॉर्ड अच्छा रहा है. सरकार हर साल बड़ा लक्ष्य रखती है लेकिन विनिवेश से होने वाली प्राप्ति को केवल पूंजी निर्माण कार्यों में ही खर्च किया जाना चाहिए. (Photo: File)
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सुदीप्तो मंडल का मानना है कि विनिवेश से मिली रकम को सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर खर्च नहीं किया जाना चाहिए. विनिवेश से मिलने वाली राशि से आप रेलवे परियोजनाओं को पूरा कीजिए, हवाईअड्डे बनाइए, सड़कें और बड़े कारखाने लगाइए, लेकिन इसे आप वेतन देने अथवा दूसरी देनदारी को पूरा करने पर खर्च मत कीजिए. अपने बेशकीमती नगीनों को बेचकर नई पूंजी खड़ी कीजिए, राजस्व खर्च में उसे मत उड़ाइए. (Photo: File)
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बता दें, कर्मचारियों के वेतन, नकद सब्सिडी, सरकारी सहायता पर होने वाला खर्च राजस्व व्यय में आता है जबकि आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने वाला कारखानों, बंदरगाहों, हवाईअड्डों, सड़क निर्माण पर होने वाला खर्च पूंजीगत खर्च कहलाता है. (Photo: File)
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