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घर-घर जलने वाली हर दूसरी अगरबत्ती चाइनीज, क्या अब बदलेगी सूरत?

घर-घर जलने वाली हर दूसरी अगरबत्ती चाइनीज, क्या अब बदलेगी सूरत?
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क्या हम अगरबत्ती भी नहीं बना पा रहे हैं, अगरबत्ती के लिए भी चीन पर निर्भर हैं? इस तरह के सवाल आपके मन में भी उठेंगे. क्योंकि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत हर साल करीब 4 हजार करोड़ रुपये की अगरबत्ती आयात करता है. (Photo: Getty)
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में जितनी अगरबत्ती की खपत है, उससे आधे ही भारत में तैयार होते हैं. यानी 50 फीसदी अगरबत्ती की जरूरत के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है. (Photo: Getty)
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देश में अगरबत्ती की वर्तमान खपत लगभग 1490 मीट्रिक टन प्रतिदिन है. जबकि भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन केवल 760 मीट्रिक टन ही है. मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है. अब सरकार का कहना है कि अगरबत्ती उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाना है. (Photo: Getty)
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इसी कड़ी केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा प्रस्तावित एक रोजगार सृजन कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. गडकरी का कहना है कि इसमें रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं. (Photo: File)
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‘खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन’ नाम के इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार पैदा करना और घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में पर्याप्त तेजी लाना है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना की शुरुआत जल्द होने वाली है. (Photo: File)
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इस योजना के तहत, केवीआईसी सफल निजी अगरबत्ती निर्माताओं के माध्यम से कारीगरों को अगरबत्ती बनाने की स्वचालित मशीन और पाउडर मिक्सिंग मशीन उपलब्ध कराएगा जो व्यापार भागीदारों के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. (Photo: File)
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केवीआईसी मशीनों की लागत पर 25% सब्सिडी प्रदान करेगा और कारीगरों से हर महीने आसान किस्तों में शेष 75% की वसूली करेगा. व्यापार भागीदार कारीगरों को अगरबत्ती बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराएगा और उन्हें काम के आधार पर मजदूरी का भुगतान करेगा. कारीगरों को ट्रेनिंग देने आई लागत का केवीआईसी 75% वहन करेगा. (Photo: File)
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अगरबत्ती बनाने की एक ऑटोमैटिक मशीन प्रतिदिन लगभग 80 किलोग्राम अगरबत्ती बनाती है जिससे 4 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. अगरबत्ती बनाने की पांच मशीनों के सेट पर एक पाउडर मिक्सिंग मशीन दी जाएगी, जिससे 2 लोगों को रोजगार मिलेगा. अभी अगरबत्ती बनाने की मजदूरी 15 रुपये प्रति किलोग्राम है. इस दर से एक स्वचालित अगरबत्ती मशीन पर काम करने वाले 4 कारीगर 80 किलोग्राम अगरबत्ती बनाकर प्रतिदिन न्यूनतम 1200 रुपये कमाएंगे. इसलिए प्रत्येक कारीगर प्रति दिन कम से कम 300 रुपये कमाएगा. इसी तरह पाउडर मिक्सिंग मशीन पर प्रत्येक कारीगर को प्रति दिन 250 रुपये की निश्चित राशि मिलेगी. (Photo: File) (Photo: File)
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वित्त-वर्ष 2018-19 में चीन से 6.39 मिलियन डॉलर (करीब 50 करोड़ रुपये) की अगरबत्ती आयात हुआ था, जबकि 2017-18 में 8.53 मिलियन डॉलर (करीब 65 करोड़ रुपये) की अगरबत्ती चीन से आई थी. वहीं चीन और वियतनाम से वित्त वर्ष 2018-19 में करीब 630 करोड़ रुपये की अगरबत्ती और इससे जुड़े सामान आयात किए गए थे.

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