अगर आप पहली कार ले रहे हैं और वो भी सेकेंड हैंड, तो थोड़ी जानकारी जुटाकर बेहतर कार का चयन कर सकते हैं. पुरानी कार लेते समय कुछ बातों पर ध्यान देने से बाद में आपको पछताना नहीं पड़ेगा. दरअसल भारत में आमतौर पर लोग पहली बार सेकेंड हैंड कार ही लेते हैं. इसके दो कारण हैं, पहला- कार सस्ती होती है, दूसरा- पुरानी कार से सीखने के दौरान अगर उसमें थोड़ी खरोंच भी आ जाती है तो ज्यादा पछतावा नहीं होता है.
अक्सर लोग पुरानी कार लेते समय उसकी बाहरी चमक-दमक (एक्सटीरियर) को देखकर फैसला ले लेते हैं और फिर कुछ दिनों बाद कार की असलियत सामने आती है, फिर पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता. ऐसे में हम आपके लिए 5 टिप्स लेकर आए हैं, सेकेंड हैंड कार खरीदते वक्त अगर इस टिप्स के आधार पर फैसला करेंगे तो बाद में कोई दिक्कत नहीं होगी, और कंडीशन कार का चयन कर पाएंगे.
बॉडी की जांच (एक्सटीरियर)
पुरानी कार खरीदते वक्त कार की बॉडी को गौर से देखें. सबसे पहले बॉडी को देखकर यह कंफर्म कर लें कि यह कार एक्सीडेंट तो नहीं हुआ है. इसके लिए गाड़ी के पेंट को जरूर चेक करें. खासतौर पर दोनों तरफ दरवाजों, फ्रंट और पीछे की तरफ के पेंट को ध्यान से देखें. क्योंकि ज्यादातर टक्कर फ्रंट, बैक या साइड से होती है. अगर गाड़ी री-पेंट हुई होगी तो गहराई से देखने के बाद साफ पता चल जाएगा.
टेस्ट ड्राइव
पुरानी कार लेने से पहले उसको अच्छी तरह के कुछ किलोमीटर तक चलाकर देख लें. ड्राइविंग के दौरान गाड़ी की कंडीशन से जुड़ी कई चीजें साफ हो जाएंगी. इंजन से किस तरह की आवाज आ रही है, इसपर गौर करें. अगर खुद को जानकारी नहीं है तो किसी मैकेनिक को साथ लेकर टेस्ट ड्राइव पर जाएं. गाड़ी का इंजन, एसी, ट्रांसमिशन के बारे में मैकेनिक को सही से पता चल जाएगा. ड्राइविंग के दौरान स्विच, बटन, ब्रेक, क्लच, गियर, एक्सीलरेटर अच्छे से काम कर रहे हैं कि नहीं, इसकी जांच कर लें.
इंजन की ऐसे करें जांच
इंजन की जांच करने के लिए किसी भरोसेमंद मैकेनिक की मदद लें. कार का बोनट खोलकर देख लें कि इंजन के आसपास ऑयल लीकेज तो नहीं हो रहा है. अगर लीकेज दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि इंजन खोलने का वक्त आ गया है. ऐसी गाड़ी को बिल्कुल नहीं खरीदें. खासकर डीजल गाड़ियों में इस तरह की समस्या होती है. इसके अलावा अगर पहले इंजन खुला है तो वजह जान लें.
कागजात की सही से करें जांच
पुरानी गाड़ी लेते समय कागजात की पूरी जांच कर लें. उदाहरण के तौर पर गाड़ी बेचने वाले के नाम गाड़ी है या नहीं. गाड़ी पहले कितनी बार बिकी है. इसके अलावा आरसी बुक, पॉल्यूशन डॉक्यूमेंट की सही से जांच कर लें. कार की इश्योंरेस के दस्तावेज को देख लें, ताकि पता चल सके कि मौजूदा समय में कार की कितनी कीमत हो सकती है.
टायर की ऐसे करें पहचान
पुरानी कार लेते वक्त कार के टायर को जरूर चेक कर लें, इससे पता चल जाएगा कि कार कितनी चली है. आमतौर पर कार के टायरों की लाइफ 35 से 45 हजार किलोमीटर तक होती है. अगर टायर नए जैसे हैं, तो इसका मतलब टायर हाल ही में बदले गए हैं. ये आपको स्पीडोमीटर कंसोल से पता चल जाएगा. वहीं अगर टायर घिसे हुए हैं तो इससे पता चल जाएगा कि कितने दिनों के बाद कार के टायर बदलने पड़ जाएंगे.
गौरतलब है कि जब आप किसी से सेकेंड हैंड कार लेते हैं तो फिर बाद में किसी तरह की शिकायत नहीं कर सकते हैं, क्योंकि कार बेचने वाला यह कहकर पल्ला झाड़ लेता कि आपने पुरानी कार ली है और इसपर किस तरह की कोई गारंटी नहीं होती है. इसलिए बाद में पछताने से बेहतर होगा कि पुरानी कार खरीदते समय थोड़ी सावधानी बरती जाएं.