वित्त वर्ष 2019-20 के खत्म होने में अब दो महीने से भी कम समय बचा है. ये वो वक्त होता है जब आपको अपनी साल भर की कमाई का हिसाब कंपनी को बताना होता है.
यही वजह है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों से इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन मांगती हैं. इसके लिए कंपनी की ओर से एक डेडलाइन भी तय की जाती है. इस डेडलाइन तक कंपनी को इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन यानी निवेश के सबूत जमा कर देने होते हैं.
अगर आपने डेडलाइल पर निवेश का सबूत नहीं दिया है तो आपकी सैलरी कट सकती है. लेकिन सवाल है कि जो लोग इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन देने से चूक गए हैं, उनके पास अब क्या ऑप्शन बचा है. आइए जानते हैं...
अगर इनकम टैक्सेबल है और निवेश के सबूत नहीं दिए हैं तो ये मान कर चलिए कि आने वाले महीने में आपकी सैलरी कम आएगी. दरअसल, इनकम टैक्स कानून 1961 के सेक्शन 192 के तहत टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स ( टीडीएस) काटने की जिम्मेदारी आपके कंपनी की है.
अगर आपके वेतन से TDS काट भी लिया गया है तो आप निवेश, खर्च और अन्य छूट के बारे में इनकम टैक्स रिटर्न में जानकारी देकर काटी गई रकम को वापस पा सकते हैं.
आमतौर पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की शुरुआत जून के बाद होती है और डेडलाइन 31 जुलाई तक होती है. हालांकि, लगभग हर साल इस अवधि को एक महीने के लिए बढ़ाया जाता है.
यहां बता दें कि टीडीएस कटौती की जानकारी लेने के लिए आपको सैलरी स्लिप चेक करना होगा. इसके साथ ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर विजिट कर भी आप फॉर्म 26AS से टैक्स कटौती की जानकारी ले सकते हैं.