भारत सरकार ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के निर्यात पर पाबंदी और सख्त कर दी है. सरकार का आदेश है कि किसी भी सूरत में इस मेडिसिन का एक्सपोर्ट नहीं होना चाहिए. इसके लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) की इकाइयों को भी रोक के दायरे में शामिल कर दिया गया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकार देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण परिस्थिति बिगड़ने की आशंकाओं को देखते हुए ये रोक लगा रही है, ताकि देश में जरूरी दवाओं की कमी नहीं हो. देश में पिछले एक हफ्ते में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़े हैं.
विदेशी व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा, 'हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और इससे बनने वाली अन्य दवाओं का निर्यात अब सेज से भी नहीं हो सकेगा, भले ही इसके लिए पहले मंजूरी दी जा चुकी हो या भुगतान किया जा चुका हो. निर्यात पर बिना किसी छूट के पाबंदी रहेगी.' भारत ने पिछले महीने इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी.
गौरतलब है कि सीमा शुल्क नियमों के मामले में SEZ को विदेशी निकाय माना जाता है. इस कारण निर्यात पर रोक के आदेश आम तौर पर सेज पर लागू नहीं होते हैं. सरकार ने घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के निर्यात पर 25 मार्च को रोक लगाने की घोषणा की थी.
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है. दरअसल, शनिवार शाम को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फोन पर हुई बातचीत में कोरोना से साथ मिलकर लड़ने पर चर्चा की गई.
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका जैसे देशों में यह दवा कोरोना वायरस के मरीजों को दी जा रही है और सहायक भी साबित हो रही है. इसी वजह से इसकी मांग और बढ़ गई है. हालांकि, हाल के दिनों में भारत में इस दवा के उत्पादन में थोड़ी कमी आई है.
क्या है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन:
भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का उत्पादन करती हैं. मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है. भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं.