देश आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहा है. बीते 6 तिमाही से जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों में गिरावट जारी है. वहीं भारत समेत दुनियाभर की अलग-अलग संस्था या रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इकोनॉमी की सेहत सुधरने के आसार नहीं दिख रहे हैं. हालांकि आगामी आम बजट में इन हालातों का फायदा देश के मिडिल क्लास लोगों को मिल सकता है. आइए जानते हैं कैसे...
जानकारों के मुताबिक मोदी सरकार उपभोग को बढ़ावा देने के लिए आम बजट में इनकम टैक्स कटौती कर मिडिल क्लास को राहत दे सकती है. इडलवाइज के पर्सनल वेल्थ एडवाइजरी के हेड राहुल जैन के मुताबिक सरकार डिमांड और इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने के लिए जीएसटी में पर्सनल इनकम टैक्स रीजनिंग और अन्य सुधारों पर काम कर रही है.
इसके साथ ही लगातार 6 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में गिरावट से जाहिर हो गया है कि अब टैक्स कटौती पसंद का सवाल नहीं हो सकता है, इसे करना जरूरी है.
पर्सनल टैक्स एंड ग्लोबल मोबिलिटी की इशिता सेनगुप्ता की मानें तो भले ही
टैक्स कलेक्शन कम हो, लेकिन सरकार ने पहले ही कॉर्पोरेट टैक्स दरों को
कम कर दिया है. ऐसे में उम्मीद है कि पर्सनल टैक्स दरें भी कम हो जाएंगी.
बीते दिनों वित्त मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर दोनों में बदलाव के बारे में सुझाव मांगे थे. सरकार एक वेब पोर्टल के माध्यम से आम जनता से इनपुट भी मांग रही है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी टैक्स कटौती के संकेत दिए थे.
निर्मला सीतारमण ने एक कार्यक्रम में कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इनकम टैक्स की दरों को तर्कसंगत बनाने समेत कुछ अन्य उपायों पर काम किया जा रहा है. यही नहीं, इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव के लिए गठित अखिलेश रंजन टास्कफोर्स ने भी टैक्स स्लैब्स में बदलाव की सिफारिश की थी.
अगस्त के महीने में सरकार को नए डायरेक्ट टैक्स कोड पर रिपोर्ट सौंपी गई थी. हालांकि, उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया था.
बहरहाल, 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश होने की उम्मीद है. ऐसे में यह
देखना अहम होगा कि सरकार मिडिल क्लास के लिए कितना हद तक राहत देती है.
बता दें कि आकलन वर्ष 2019 में कुल 8.45 करोड़ करदाता थे.