बीते साल की बात है रिजर्व बैंक एक के बाद एक कई बैंकों पर एक्शन लिया था. इसमें सबसे बड़ी कार्रवाई पीएमसी बैंक पर की गई थी. वित्तीय अनियमितता की वजह से यह बैंक आज भी पाबंदी झेल रहा है.
वहीं, एक अन्य निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) पर भी आरबीआई का डंडा चला था. रिजर्व बैंक ने सितंबर 2019 में त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत इस बैंक को निगरानी में रख लिया.
इस कार्रवाई का मतलब ये हुआ कि बैंक के नया कर्ज देने पर रोक लग गई है और अब उसे अपने एनपीए में कमी लानी होगी. वहीं, बैंक की वित्तीय सेहत पर भी सवाल खड़े हुए. हालांकि, बीते कुछ दिनों में बैंक को कुछ अच्छी खबरें मिली हैं.
लक्ष्मी विलास बैंक ने करीब एक महीना पहले ही क्लिक्स कैपिटल के साथ विलय समझौता किया है. इससे बैंक को 1,900 करोड़ रुपये की पूंजी प्राप्त होगी.
इस समझौते को पूरा करने के लिये 45 दिन की अधिकतम समयसीमा तय की गई है. यह
समझौता ऐसे समय में हो रहा है जब लक्ष्मी विलास बैंक को पूंजी की सख्त
जरूरत है.
यही नहीं, बैंक 1,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी जुटाने के लिये भी अन्य निवेशकों से बातचीत कर रहा है. बता दें कि साल 1926 में स्थापित इस बैंक ने पिछले पांच साल के दौरान केवल 2,002 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी जुटाई है.
बैंक को मार्च 2020 को समाप्त तिमाही में 92.86 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. इससे पहले लगातार दस तिमाहियों में बैंक को घाटा हो रहा था.