पान कारोबारी बबलू चौरसिया बताते हैं कि घरों पर ही हरे पान को बनारसी सफेद पान का स्वरूप दिया जाता रहा है, जो दुनिया में मशहूर है, लेकिन दो महीने से लॉकडाउन के चलते मजदूरों को बैठाकर तनख्वाह देनी पड़ रही है. ये विडंबना है कि सूबे में 21 पान दरिबाओं को खोलने की छूट मिली है, लेकिन स्थानीय स्तर पर रोक के चलते मंडी बंद है. एकल फुटकर की पान की दुकानों को खोलने की छूट है, लेकिन सप्लाई चेन वाली मंडियों के बंद होने से उनको भी मैटेरियल कहां से मिलेगा?
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