रिटायरमेंट के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर दोबारा नियुक्त होने वाले केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है. दरअसल, केंद्र सरकार ऐसे कर्मचारियों की वेतन संबंधी नियमों पर काम कर रही है. आपको यहां बता दें कि दोबारा नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली रकम सैलरी नहीं होती है और इसमें असमानताएं भी होती हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले व्यय विभाग ने इस संबंध में ड्राफ्ट भी तैयार किया है. ड्राफ्ट में कहा गया है कि इन कर्मचारियों को निश्चित मासिक वेतन दिया जाना चाहिए.
यह वेतन उस कर्मचारी की रिटायरमेंट के समय मिल रहे वेतन में से मूल पेंशन को काटकर निकाला जाना चाहिए. इसे उनका ‘वेतन’ कहा जाना चाहिए.
दिशानिर्देशों के मसौदे में कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट के पूरे समय के दौरान वेतन में किसी तरह का बदलाव नहीं होना चाहिए. इसके अलावा आवास किराया भत्ता (एचआरए) दिया जाना चाहिए.
ड्राफ्ट के मुताबिक इस तरह की नियुक्तियों के लिए शुरुआती कार्यकाल एक साल का होना चाहिये और इसे रिटायरमेंट की आयु से दो साल अधिक तक बढ़ाया जा सकता है.
किसी भी मामले में यह विस्तार रिटायरमेंट उम्र के ऊपर पांच साल से अधिक नहीं होना चाहिए. ड्राफ्ट में कहा गया है कि इस तरह की नियुक्तियां आधिकारिक कामकाज की जरूरत तथा जनहित को देखते हुए की जानी चाहिए. वहीं, विज्ञापन के जरिए ये नियुक्तियां होंगी.
दरअसल, कई मंत्रालय/विभाग केंद्र सरकार के रिटायर्ड कर्मचारियों को सलाहकार रखने सहित कॉन्ट्रैक्ट पर पुन: नियुक्त करते हैं.
लेकिन कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन भुगतान संबंधी
नियमों के दिशानिर्देश में कोई एकरूपता नहीं है. यही वजह है कि वेतन के
बारे में नियमनों का मसौदा बनाया गया है.