प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया मुहिम को बड़ा झटका लग सकता है. दरअसल, देश भर के निजी अस्पताल स्कीम्स के तहत ‘कैशलेस’ इलाज की सुविधा को बंद करने की तैयारी में हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI)ने यह दावा किया है.
AHPI के दावे के मुताबिक सरकार ने देश भर के निजी अस्पतालों का 7-8 महीने से बकाए का भुगतान नहीं किया है. यही वजह है कि निजी अस्पताल केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) और ‘एक्स सर्विसमेन कंट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम’(ईसीएचएस) योजनाओं के तहत कवर होने वाले मरीजों के लिए ‘कैशलेस’ सुविधा बंद करने पर विचार कर रहे हैं.
सोसिएशन के महानिदेशक डॉ गिरधर ज्ञानी के मुताबिक नियम के तहत सात दिन के अंदर 70 फीसदी का भुगतान हो जाना चाहिए लेकिन यहां तो महीनों से भुगतान नहीं हो रहा है. उन्होंने दावा किया, ‘‘सिर्फ दिल्ली के ही 10 अस्पतालों का बकाया 650 करोड़ रुपये से ज्यादा है.’’
डॉ ज्ञानी ने कहा कि अगर वक्त पर भुगतान नहीं होगा तो अस्पताल खर्चों में कटौती करेंगे. वे प्रशिक्षित स्टाफ नहीं रखेंगे और केमिकल आदि से साफ-सफाई नहीं करेंगे जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि अगर 15 दिन में बकाये का भुगतान नहीं किया गया तो हम 1 फरवरी से कैशलेस सेवा को बंद कर देंगे.
डॉ ज्ञानी के मुताबिक उनका संगठन आयुष्मान भारत में सरकार की ओर से तय किए गए रेट को लेकर अदालत का रुख करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि यह सही नहीं हैं.
वहीं, भारतीय चिकित्सा संघ का कहना है कि भारत में ओपीडी के 70 फीसदी और आईपीडी (अस्पताल में भर्ती) के 60 फीसदी मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में होता है. ऐसे में आर्थिक तंगी की वजह से इन अस्पतालों का काम रुकने से देश की स्वास्थ्य सेवा चरमरा जाएगी.