देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में पैसा लगाने के लिए अब बैंकों में भी होड़ लग गई है. कई बैंकों, म्यूचुअल फंड और सहकारी बैंकों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के डिबेंचर खरीद लिए हैं.
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गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में हाल के महीनों में करीब 8 लाख करोड़ रुपये की नकदी डाली है. एक घरेलू सिक्यूरिटीज फर्म में एक डेट डीलर ने बताया,
'नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCDs) असुरक्षित प्रकृति के होते हैं, लेकिन
रिलायंस काफी मजबूत कंपनी है, जो निवेशकों को जोखिम रहित रिटर्न दे सकती
है.'
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यही नहीं, एनबीएफसी और अन्य कॉरपोरेट के डेट पेपर की खराब हालत को देखते
हुए एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) निवेश को लेकर सचेत हो गई हैं, लेकिन
उन्हें भी रिलायंस के शॉर्ट टर्म पेपर में निवेश का अच्छा मौका मिला है. वे
भी रिलायंस में करीब 4,000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही हैं.
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IDFC, एलएंडटी, डीएसपी, ICICI प्रुडेंशियल, सुंदरम, एसबीआई,
एक्सिस और एचडीएफसी जैसे बड़े म्यूचुअल फंड रिलायंस में निवेश कर रहे हैं. निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक ने रिलायंस के डिबेंचर में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
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भारतीय स्टेट बैंक ने 1,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है. गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के बोर्ड ने नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर के द्वारा 25,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.
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नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर एक प्रकार के बॉन्ड होते हैं. ये निवेश के साधन होते हैं जिनको इक्विटी शेयर या स्टॉक में नहीं बदला जा सकता. इनकी एक निश्चित मेच्यौरिटी अवधि होती है और इस पर ब्याज मासिक या सालाना दिया जाता है. इसमें निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है.
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सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी बैंक ने इसमें 975 करोड़ रुपये का निवेश किया है. फिलहाल केंद्र सरकार करीब 6 फीसदी ब्याज पर कर्ज ले रही है और राज्य
सरकारें डेट मार्केट में 6 से 7 फीसदी ब्याज पर कर्ज ले रही हैं.
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रिलायंस
तो राज्यों से भी कम ब्याज दर पर पैसा जुटाने में कामयाब रही है. कोटक महिंद्रा बैंक ने इसमें 425 करोड़ रुपये का निवेश किया है.