देश में पेट्रोल-डीजल के दाम 7 जून से लगातार बढ़ रहे हैं. इन 17 दिनों में अगर दिल्ली की बात करें तो यहां पेट्रोल 8.50 रुपये और डीजल 10.01 रुपये यानी 14.43 फीसदी महंगा हो चुका है. ये भाव 23 जून 2020 का है. (Photo: File)
दिल्ली में 23 जून को पेट्रोल की कीमत 20 पैसे बढ़कर 79.76 रुपये प्रति लीटर हो गई, जो 28 अक्टूबर 2018 के बाद का उच्चतम स्तर है. पेट्रोल-डीजल लगातार तब महंगे होते जा रहे हैं, जब ब्रेंट क्रूड की कीमत एक दायरे में है. 23 जून को ब्रेंट क्रूड का भाव 42.99 डॉलर प्रति बैरल के करीब था. (Photo: File)
दरअसल हर तरफ से सवाल ये उठ रहा है कि जब कच्चा तेल सस्ता है, तो फिर आम आदमी को कीमतों में राहत क्यों नहीं मिल रही है? पिछले दो महीनों में कच्चे तेल के भाव में भारी गिरावट देखने को मिली है. अप्रैल में अमेरिकी क्रूड 13 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया था. वहीं अप्रैल में ब्रेंट क्रूड की कीमत 20 डॉलर के आसपास पहुंच गई थी. (Photo: File)
सस्ता क्यों नहीं मिल रहा पेट्रोल?
पेट्रोल-डीजल की वास्तविक कीमत से ज्यादा उसपर टैक्स लगाया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के अलग-अलग रेट पर टैक्स लागू है. एक तरह से पेट्रोल के मौजूदा दाम में करीब दो तिहाई हिस्सा टैक्स शामिल है. (Photo: File)
उदाहरण की तौर पर दिल्ली में पेट्रोल के दाम में करीब 33 रुपये केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और 18 रुपये प्रति लीटर स्थानीय कर यानी वैट शामिल है. इसी प्रकार डीजल के दाम में 63 प्रतिशत से अधिक टैक्स का हिस्सा है, इसमें करीब 32 रुपये प्रति लीटर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और 17.60 रुपये प्रति लीटर वैट का हिस्सा है. (Photo: File)
मौजूदा समय में पेट्रोल-डीजल महंगे होने के पीछे डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट भी एक कारण है. रुपये में गिरावट से तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है, क्योंकि इसका मतलब यह है कि अब उन्हें कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ेगी. इसलिए तेल कंपनियां लगातार इसका बोझ ग्राहकों पर डाल रही हैं. (Photo: File)
वैसे तो पेट्रोलियम कंपनियां इस मामले में स्वतंत्र हैं कि वे हर रोज अपनी कीमत में संशोधन कर सकें. लेकिन यह काफी हद तक सरकार पर भी निर्भर है, जो टैक्स घटा या बढ़ा सकती हैं. आज जो पेट्रोल-डीजल हम खरीद रहे हैं, उसके लिए कच्चे तेल की करीब 23-25 दिन पहले की कीमत मायने रखती है, जो खाड़ी देशों से यहां तक पहुंचने का समय होता है. (Photo: File)
कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल-डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी. इसके बाद पांच मई को फिर से पेट्रोल पर रिकॉर्ड 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया. गौरतलब है कि भारत में करीब 80 फीसदी तेल आयात होता है. (Photo: File)
गौरतलब है कि साल 2008 में कच्चे तेल की कीमत करीब 100 डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि उस समय पेट्रोल करीब 52 रुपये और डीजल 34 रुपये लीटर था. अब अगर आगे कच्चे तेल ने फिर इस भाव को छुआ तो आप पेट्रोल-डीजल की कीमत का अनुमान लगा सकते हैं. (Photo: File)