लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान में अलग—अलग सेक्टर को कर्ज देकर कारोबार करने या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
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सरकार की इस मुहिम में रेहड़ी-पटरी, ठेले या सड़क किनारे दुकान चलाने वाले भी शामिल हैं. इस वर्ग के करीब 50 लाख लोगों के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की शुरुआत की है. अब योजना में एक नई छूट दी गई है.
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केंद्र सरकार के नए नियम में अब बिना आईडी प्रूफ वाले स्ट्रीट वेंडर्स भी लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए सरकार ने अनुशंसा पत्र (एलओआर) व्यवस्था की शुरुआत की है.
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केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने बताया कि पात्र रेहड़ी-पटरी वाले स्थानीय शहरी निकाय अनुशंसा पत्र के लिए अनुरोध कर सकता है. सड़क किनारे ठेले पर दुकान लगाने वालों के लिये प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शुरू की गयी है.
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इसके तहत ठेले, खोमचे वाले 10,000 रुपये तक कर्ज ले सकते हैं. इस कर्ज को एक साल में मासिक किस्त में लौटाना होगा. मिश्रा ने कहा कि योजना के तहत एलओआर प्राप्त करने के बाद ठेले वाले दुकानदार कर्ज के लिये आवेदन दे सकते हैं.
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मंत्रालय के अनुसार अनुशंसा पत्र यह मॉड्यूल उन स्ट्रीट वेंडर्स को सुविधा देने के लिए तैयार किया गया है जिनके पास पहचान पत्र (आईडी) और विक्रय प्रमाणपत्र (सीओवी) नहीं है. ये उनके लिए भी है जिनका नाम इस योजना के तहत लाभ उठाने के लिए सर्वेक्षण सूची में भी शामिल नहीं हैं.
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पीएम स्वनिधि पोर्टल पर स्थानीय शहरी निकायों से एलओआर प्राप्त करने के लिये ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इसके लिए एक विक्रेता के पास निम्न दस्तावेजों में से कोई एक होना चाहिए.
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ये दस्तावेज हैं- लॉकडाउन अवधि के दौरान कुछ राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों द्वारा दी गई एकमुश्त सहायता का प्रमाणपत्र या विक्रेता संघों का सदस्यता विवरण अथवा कोई ऐसा दस्तावेज जो ये साबित करे कि वह एक विक्रेता है.
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इसके अलावा, एक विक्रेता सादे कागज पर साधारण आवेदन के माध्यम से स्थानीय शहरी निकाय से अनुरोध कर सकता है कि जांच द्वारा उसके दावे की वास्तविकता का पता लगाया जाये. स्थानीय निकाय को 15 दिनों की अवधि के भीतर एलओआर जारी करने के अनुरोध का निपटान करना होगा.
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बयान के अनुसार जिन विक्रेताओं के पास एलओआर हैं, उन्हें 30 दिनों की अवधि
के भीतर विक्रय प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग) / पहचान पत्र जारी
किया जाएगा.
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इस प्रावधान से योजना का लाभ अधिकतम लाभार्थियों को मिलेगा. अब तक 4.45 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं और 82,000 से अधिक स्वीकार किए गए हैं.