साल 2015 में केंद्र की मोदी सरकार ने एक खास स्कीम की शुरुआत की थी. इसका नाम गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम है. इस स्कीम के तहत देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 13 हजार किलोग्राम से ज्यादा गोल्ड जुटाया है. आइए इस स्कीम के बारे में विस्तार से जानते हैं..
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दरअसल, सरकार ने घरों में और संस्थानों के पास बिना उपयोग वाले सोने को जुटाने के लिए नवंबर 2015 में गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की शुरुआत की थी. योजना का मकसद बेकार पड़े सोने का इस्तेमाल कर सोने के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना था.
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स्कीम के तहत सोना बैंक में जमा करना होता है. सोना जमा करने पर वही नियम लागू होता है जो सामान्यतः किसी जमा खाते में पैसे डिपॉजिट करने पर होते हैं.
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खास बात यह है कि इस सोने के एवज में मिलने वाले ब्याज पर कोई इनकम टैक्स या कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है. इस स्कीम में शुद्ध सोने पर वैल्यू तय की जाती है और आप एक निश्चित अवधि के लिए FD की तरह ब्याज हासिल कर सकते हैं.
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इसमें बैंक गोल्ड-बार, सिक्के, गहने (स्टोन्स रहित और अन्य मेटल रहित) मंजूर होते हैं. इस पर 2.25 फीसदी से 2.50 फीसदी तक ब्याज मिलता है.
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इस स्कीम की एक सबसे बड़ा निगेटिव प्वाइंट यह है इसमें आपको अपने फिजिकल सोने का मोह छोड़ना पड़ता है.
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हालांकि, बीते कुछ समय से ऐसी खबरें चल रही हैं कि सरकार इस स्कीम के नियमों में कुछ बदलाव कर सकती है.
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बहरहाल, एसबीआई ने ये भी बताया है कि 2019-20 के दौरान उसने 647 किलोग्राम (243.91 करोड़ रुपये) सोना सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) के माध्यम से जुटाया. ये भी मोदी सरकार की ही एक स्कीम है, जिसमें बॉन्ड के जरिए निवेश किया जाता है.