आम्रपाली ग्रुप से जुड़े मामलों में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 42 हजार घर खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए आम्रपाली ग्रुप का रेरा रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश दे दिया. साथ ही कोर्ट ने कहा कि नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NBCC) आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करे. (Photo: Getty)
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आम्रपाली ग्रुप के ऑडिटिंग के लिए दो ऑडिटर नियुक्त किए थे. इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आम्रपाली ग्रुप ने घर खरीदारों का पैसा इंडियन क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की कंपनियों में लगाया है. ये कंपनियां धोनी और उनकी पत्नी साक्षी मिलकर चलाते हैं.
ऑडिट रिपोर्ट से क्रिकेटर धोनी और उनकी पत्नी की कंपनियां घेरे में हैं. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि होमबायर्स का जो पैसा अवैध तरीके से धोनी और साक्षी की कंपनी को भेजा गया है, उसे वापस लिया जाना चाहिए. कोर्ट का साफ कहना है कि दोनों के बीच हुए समझौते कानूनी तौर पर जायज नहीं है. (Photo: File)
SC में सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक आम्रपाली ग्रुप ने रीति स्पोर्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और आम्रपाली माही डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड गलत तरीके से करार किया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आम्रपाली ग्रुप की कंपनियों द्वारा रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 2009 से 2015 के बीच 42.22 करोड़ रुपये दिए गए. इसमें से 6.52 करोड़ रुपये आम्रपाली सैफायर डेवेलपर्स लिमिटेड ने चुकाए थे. (Photo: File)
रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड में एमएस धोनी का मेजॉरिटी
स्टेक है. जबकि धोनी की पत्नी साक्षी आम्रपाली माही कंपनी की डायरेक्टर
हैं. आपको बता दें, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी
करीब 7 साल तक आम्रपाली के ब्रांड एम्बेसडर रहे थे. (Photo: File)
मार्च 2019, में धोनी ने आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
खटखटाया था. धोनी ने SC में याचिका दायर कर अपील की थी कि आम्रपाली ग्रुप
से उनके बकाया 40 करोड़ रुपये उन्हें दिलवाए जाएं. क्योंकि इस दौरान कंपनी
ने अपने प्रचार के लिए उनका इस्तेमाल किया है. (Photo: File)
बता दें, सुप्रीम कोर्ट में आम्रपाली की ऑडिट रिपोर्ट पवन कुमार अग्रवाल और रविंदर भाटिया ने सौंपी है. जिसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित ने अपने 270 पन्नों के ऑर्डर में कहा है कि रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को किया गया पेमेंट गलत था. कोर्ट ने कहा कि होमबायर्स का पैसा अवैध और गलत रास्ते से रीति स्पोर्ट्स की कंपनी में ट्रांसफर किया गया था, यह पैसा उनसे वापस लेना चाहिए. (Photo: File)
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट के आधार पर चेन्नई सुपर किंग्स की ब्रांडिंग को लेकर आम्रपाली और रीति के बीच 2015 के समझौते पर भी चिंता जताई, क्योंकि इसमें इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की ओर से कोई हस्ताक्षर नहीं थे. 2015 में धोनी चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'ऐसा पाया गया है कि आम्रपाली और रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के बीच सादे कागज पर समझौता हुआ है, उस पर चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से किसी के हस्ताक्षर नहीं हैं.' (Photo: File)
(Businesstoday.in के इनपुट के साथ)