बाजार नियामक सेबी के निवेशकों पर लगाये जाने वाले शुल्क में कटौती के कदम से म्यूचुअल फंड में निवेश सस्ता होगा. वहीं दूसरी तरफ संपत्ति प्रबंधन कंपनियों का मार्जिन प्रभावित हो सकता है. विशेषज्ञों ने बुधवार को यह कहा.
दरअसल सेबी ने म्यूचुअल फंड के शुल्क ढांचे में व्यापक बदलाव लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इसके तहत निश्चित अवधि की इक्विटी योजनाओं (क्लोज्ड इंडेड इक्विटी स्कीम) के लिए अधिकतम कुल व्यय अनुपात (टीईआर) 1.25 प्रतिशत रखा गया है. वहीं अन्य योजनाओं के लिये यह एक प्रतिशत है. टीईआर वह शुल्क है जो म्यूचुअल फंड कंपनियां अपनी पूंजी के प्रबंधन के लिये निवेशकों से प्राप्त करती हैं. (Photo: getty)
सतत रूप से खुली इक्विटी योजनाओं (ओपन इंडेड इक्विटी स्कीम) के लिये अधिकतम टीईआर 2.25 प्रतिशत होगा और अन्य खुली सतत योजनाओं के मामले में 2 प्रतिशत है. (Photo: getty)
क्वांटम एसेट मैनेजमेंट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिम्मी पटेल ने कहा, 'टीईआर नीचे आया है और एयूएम (प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति) के स्लैब में बदलाव किया गया है. मेरे विचार से निश्चित रूप से इससे निवेशकों को लाभ होगा क्योंकि म्यूचुअल फंड में निवेश की लागत कम होगी. साथ ही इन कदमों से उद्योग में पारदर्शिता आएगी.' (Photo: getty)
यूनियन एएमसी के सीईओ जी प्रदीप कुमार ने कहा कि सेबी द्वारा व्यय अनुपात की समीक्षा यह बताती है कि व्यक्तिगत योजनाओं का दायरा बढ़ने के साथ पैमाने की मितव्ययिता का लाभ निवेशकों के साथ साझा किया जाना चाहिए. (Photo: getty)
उन्होंने कहा, 'बड़ी इक्विटी या संतुलित योजनाओं के मामले में एएमसी (संपत्ति प्रबंधन कंपनी) का मार्जिन प्रभावित हो सकता है लेकिन उम्मीद है कि मात्रा बढ़ने से इसकी भरपाई हो जाएगी.' (Photo: getty)
कुमार ने कहा कि छोटी योजनाओं से संबंधित एएमसी के मामले में प्रभाव सीमित होगा. शेयरखान, बीएनपी परिबा में निदेशक (निवेश समाधान) स्टीफन ग्रोएनिंग ने कहा, ‘‘लागत कम होने से फंड का शुद्ध रिटर्न बढ़ेगा और निवेशकों के लिए यह आकर्षक होगा.’ (Photo: getty)
म्यूचुअल फंड का आकार बढ़ने के साथ पैमाने की मितव्ययिता का लाभ निवेशकों को देने के लिये सेबी ने विभिन्न श्रेणी के कोष के व्यय अनुपात में कटौती की है. उल्लेखनीय है कि उद्योग का आकार जुलाई 1999 में 79,501 करोड़ रुपये था जो अगस्त, 2018 में बढ़कर 25.20 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया. (Photo: getty)