scorecardresearch
 
Advertisement
बिजनेस

एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?

एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 1/19
एअर इंडिया कर्ज में डूबी हुई है, पहले तो इसे घाटे से उबारने की बात हुई, लेकिन बात नहीं बनी, उल्टा साल-दर-साल घाटा बढ़ता गया. इस बीच करीब एक दशक से एअर इंडिया में विनिवेश की भी बात चल रही है, लेकिन अभी तक इसमें भी सफलता नहीं मिल पाई है. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 2/19
जैसे-जैसे एअर इंडिया कर्ज में डूबती गई, सरकार भी इससे किनारा करती गई है. पहले एअर इंडिया में कुछ हिस्सेदारी बेचने की बात चल रही थी. लेकिन अब सरकार ने साफ कर दिया है कि एअर इंडिया की पूरी हिस्सेदारी बेची जाएगी. सरकार का कहना है कि हवाई जहाज को उड़ाना सरकार का काम नहीं है. इसलिए इसे निजी कंपनियों को सौंप देंगे. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 3/19
लेकिन कर्ज में डूबी कंपनी को खरीदे कौन? बोली की तारीख लगातार बढ़ाई जा रही है. क्योंकि खरीदार मिल नहीं रहे हैं. कोरोना संकट से पहले उम्मीद की जा रही थी कि सरकार एअर इंडिया से अपना पीछा छुड़ा लेगी. लेकिन कोरोना ने विनिवेश के मोर्चे पर सरकार को तगड़ा झटका दिया है. (Photo: File)
Advertisement
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 4/19
विनिवेश पर कोरोना की मार
एक ओर कोरोना की वजह से हवाई सेवाएं बुरी तरीके से प्रभावित हैं, दूसरी ओर एअर इंडिया की बैलेंस शीट लगातार बिगड़ती जा रही है. अब एयरलाइंस अपने कर्मचारियों को बिना पेमेंट 6 महीने से लेकर 5 साल तक छुट्टी पर भेजने की तैयारी में है. लेकिन क्या कर्मचारियों की छुट्टी कर देने से एअर इंडिया की सेहत सुधर जाएगी? एअर इंडिया के कर्मचारियों के वेतन पर हर महीने करीब 300 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 5/19
हर रोज बढ़ रहा है कर्ज
एअर इंडिया पर 58 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है, और इसे चुकाने के लिए एयरलाइंस को सालाना 4,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ये आंकड़ा कोरोना संकट से पहले का है. एअर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,400 करोड़ रुपये का मोटा घाटा हुआ. एअर इंडिया को एक साल में जितना घाटा हुआ है उतने में तो एक नई एयरलाइंस शुरू की जा सकती है. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 6/19
आइए अब बात करते हैं, कैसे एअर इंडिया मुनाफे से घाटे में उड़ान भरने लगी. दरअसल, एअर इंडिया इस बुरे हाल में पहुंच जाएगी, एक दशक पहले इसकी कल्पना तक नहीं की गई होगी. क्योंकि एक दशक से पहले भले ही ये सरकारी एयरलाइन कंपनी फायदे में नहीं चल रही थी, लेकिन इसके फायदे में आने की पूरी उम्मीद थी. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 7/19
साल 2000 तक मुनाफे में थी कंपनी
साल 1954 को विमानन कंपनी का राष्ट्रीयकरण किया गया था. तब सरकार ने हवाई सेवा के लिए दो कंपनियां बनाईं. घरेलू सेवा के लिए इंडियन एयरलाइंस, और विदेश के लिए एअर इंडिया. तब से लेकर के साल 2000 तक यह सरकारी एयरलाइन कंपनी मुनाफे में थी. पहली बार 2001 में कंपनी को 57 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. तब विमानन मंत्रालय ने तत्कालीन प्रबंध निदेशक माइकल मास्केयरनहास को दोषी मानते हुए पद से हटा दिया था. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 8/19
एअर इंडिया की बर्बादी की कहानी
एअर इंडिया के इतिहास पर नजर डालें तो राजनीतिक दखलअंदाजी और कुप्रबंधन की वजह से बेहतरीन कंपनी देखते-ही देखते कंगाल हो गई. अब कर्मचारियों को समय से पहले रिटायर्ड और विदआउट पे लीव पर भेजने की बात हो रही है. एअर इंडिया और उसकी सहायक पांच कंपनियों में कम से कम 20 हजार कर्मचारी काम करते हैं. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 9/19
बर्बादी की शुरुआत?
साल 2007 की बात है, केंद्र सरकार ने एअर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय कर दिया. दोनों कंपनियों का विलय के वक्त संयुक्त घाटा 771 करोड़ रुपये का था, विलय से पहले इंडियन एयरलाइंस महज 230 करोड़ रुपये के घाटे में थी, उम्मीद की जा रही थी कि जल्द फायदे में आ जाएगी. जबकि एअर इंडिया विलय से पूर्व करीब 541 करोड़ रुपये नुकसान में थी. ये वित्त वर्ष 2006-07 की रिपोर्ट थी. (Photo: File)
Advertisement
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 10/19
साल दर साल बढ़ता गया घाटा
सरकार दावा कर रही थी कि विलय के बाद जो एक कंपनी बनेगी, वह हर साल 6 अरब का लाभ कमा सकेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. विलय के बाद कंपनी का घाटा लगातार बढ़ता गया. फिर घाटे को कम करने के लिए कंपनी ने लोन लेना शुरू किया, और फिर कर्ज में कंपनी डूबती गई. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 11/19
साल 2007-08 में 2226 करोड़ रुपये, 2008-09 में 7200 करोड़ रुपये, 2009-10 में घाटा बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया. यह आंकड़ा और ज्यादा होता, लेकिन 2009 में कर्ज घटाने के लिए एअर इंडिया ने अपने कुछ विमान भी बेच दिए थे. जानकार मानते हैं कि विलय ने कंपनी का बंटाधार कर दिया. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 12/19
इस सौदे पर भी सवाल
मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि 2005 में 111 विमानों की खरीद का फैसला एअर इंडिया की आर्थिक संकट की सबसे बड़ी वजह थी. इस सौदे पर 70 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे. कहा जाता है कि इतने बड़े सौदे से पहले विचार नहीं किया गया कि ये कंपनी के लिए यह व्यावहारिक होगा या नहीं. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी इस सौदे पर सवाल खड़े किए थे. हालांकि सौदे को लेकर खूब राजनीति हुई थी. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 13/19
अगस्त, 2009 में एअर इंडिया प्रमुख अरविंद जाधव ने तीन साल में बेहतरी की योजना के तहत छंटनी और अन्य उपायों के बारे में ऐलान किया. जिसके बाद विरोध में भूख हड़ताल शुरू कर दी गई. विमान चालकों ने भी आंदोलन छेड़ दिया. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 14/19
कुप्रबंधन और सरकारी सेवा में तत्परता की वजह से एअर इंडिया का बेजा इस्तेमाल हुआ. सरकारी बकाया समय पर नहीं मिलने से बोझ बढ़ता गया. एअर इंडिया को ज्यादा ऑपरेटिंग कॉस्ट और विदेशी मुद्रा में घाटे के चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. इसे संकट से उबारने के लिए सही समय पर सही कदम नहीं उठाए गए. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 15/19
बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा एक कारण
एअर इंडिया प्रबंधन का ढुलमुल रवैया भी एक कारण रहा. एअर इंडिया की फ्लाइट्स अक्सर लेट लतीफी का शिकार होती रहीं. कर्मचारियों में हड़ताल आम बात हो गई. जिस वजह से सेवाएं प्रभावित हुईं. साल 2018 एअर इंडिया के पास सिर्फ 13.3 प्रतिशत मार्केट शेयर था ये सिर्फ 45.06 लाख पैसेंजर्स थे. (Photo: File)
Advertisement
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 16/19
एक रिपोर्ट के मुताबिक निजी एयरलाइन कंपनियों के विमान एक दिन में कम से कम 14 घंटे हवा में रहते हैं. जबकि एअर इंडिया के जहाज सिर्फ 10 घंटे उड़ान भरते हैं. लेट लतीफी की वजह से भी यात्री एअर इंडिया से जाने से बचते हैं. एअर इंडिया के विमानों को उन रूटों को लगातार  रखा गया, जिसपर प्राइवेट कंपनियां ने सेवा देने से इनकार कर दिया. जबकि लाभों वाले रूटों को बिना वजह दूसरी एयरलाइंस को दे दिया गया. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 17/19
दिखी थी एक उम्मीद की किरण
2007 के बाद पहली बार वित्त वर्ष 2017 में एअर इंडिया को 105 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. ये उम्मीद की किरण अश्विनी लोहानी ने दिखाई थी. इसलिए पिछले साल फिर अश्विनी लोहानी को एअर इंडिया का चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बनाकर कंपनी की आर्थिक सेहत सुधारने की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन इस बार वो सफल नहीं रहे. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 18/19
अब इतिहास की बात
आजादी के वक्त देश में कुल 9 छोटी-बड़ी विमानन कंपनियां थीं. साल 1954 में इसका राष्ट्रीकरण कर दिया गया. सभी कंपनियों को मिलाकर दो कंपनियां बनाई गईं, घरेलू सेवा के लिए इंडियन एयरलाइन्स, और विदेश के लिए एअर इंडिया. वर्ष 1953 तक एअर इंडिया का स्वामित्व टाटा समूह के पास था. (Photo: File)
एअर इंडिया की बर्बादी की पूरी कहानी, क्यों आई बेचने की नौबत?
  • 19/19
एअर इंडिया को सबसे पहले जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से लॉन्च किया था. 1946 में इसका नाम बदल कर एअर इंडिया कर दिया गया और 1953 में सरकार ने इसको टाटा से खरीद लिया था. (Photo: File)
Advertisement
Advertisement