भारत में अक्सर लोग एक ही पॉलिसी में सबकुछ चाहता है. रिस्क कवर, टैक्स सेविंग और इंवेस्टमेंट (रिटर्न) को एक पॉलिसी में खोजना या फिर लेना सबसे गलत फैसला माना जाता है. जानकारों की मानें तो इससे एक भी लक्ष्य सही से हासिल नहीं होता है. रिस्क कवर को निवेश से कभी जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
दरअसल रिस्क कवर, टैक्स सेविंग और रिटर्न एक ही इंश्योरेंस पॉलिसी में अगर होता भी है तो, उसे लेना सबसे गलत फैसला माना जाता है. क्योंकि रिस्क को कभी रिटर्न से जोड़कर नहीं देख सकते, और न ही टैक्स सेविंग के नजरिये से. (Photo: getty)
जानकारों का कहना है कि रिस्क कवर के लिए प्योर इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए, जिसे टर्म इंश्योरेंस के नाम से जाना जाता है और इसे ही असली इंश्योरेंस पॉलिसी कहते हैं. कुछ लोगों मानना होता है कि टर्म इंश्योरेंस का फायदा तो मरने के बाद ही मिलता है. ऐसे में अगर पॉलिसी धारक की मौत नहीं होती है तो फिर कोई रिटर्न नहीं मिलता है. (Photo: getty)
लेकिन ये धारणा सबसे गलत है. टर्म इंश्योरेंस के लिए मरना जरूरी नहीं है. टर्म इंश्योरेंस को हमेशा सुरक्षा के हिसाब से देखें. खासकर घर के कमाऊ शख्स को सबसे पहले टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए. कल्पना कीजिए जब आप नहीं होंगे तो उस समय परिवार को सबसे ज्यादा आर्थिक मदद की जरूरत होगी, और ऐसे वक्त में टर्म इंश्योरेंस से मिला पैसा परिवार का सबसे बड़ा सहारा होगा. (Photo: getty)
हमेशा से रिस्क कवर, टैक्स सेविंग और रिटर्न को अलग-अलग देखना चाहिए. रिस्क कवर के लिए टर्म इंश्योरेंस लें, टैक्स सेविंग के लिए म्यूचुअल फंड या फिर PPF में निवेश करें. जबकि बेहतर रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड के साथ-साथ प्योर इक्विटी में भी हाथ आजमा सकते हैं.
प्योर इंश्योरेंस को कभी वसूली के हिसाब से नहीं आंके. इसलिए अगर अभी तक आपने इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं ली है तो सबसे पहले टर्म इंश्योरेंस लेकर परिवार के भविष्य को सुरक्षित करें और फिर टैक्स सेविंग और रिटर्न से निवेश करें. (Photo: getty)