यह आदेश तब आया जब न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ एनसीआर क्षेत्र, खासकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक करने वाले घर खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन लोगों ने आरोप लगाया है कि बैंक उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जबकि उन्हें अपने घरों का कब्जा नहीं मिला है.
ATS Le Grandiose 2 के घर खरीदार कई सालों से अपने फ्लैट के मिलने का इंतजार कर रहे हैं, लोगों ने करोड़ों रुपये लगाकर यहां फ्लैट बुक किया था कि लग्जरी घर में आराम से जिंदगी बिताएंगे, लेकिन आज तक उनके प्रोजेक्ट का काम शुरू भी नहीं हुआ है.
न्यूक्लियर फेमिली के चलते बुजुर्गों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में सीनियर सिटीजन के लिए सीनियर लीविंग होम्स और रिटायरमेंट होम्स की जरूरत बढ़ रही है, जिसको देखते हुए कई कंपनियां लग्जरी प्रोजेक्ट लेकर आ रही हैं.
दिल्ली-एनसीआर में घर का सपना लिए हजारों लोगों ने लाखों रुपये लगाकर अपने लिए सपनों का घर बुक किया. सालों से बैंक की किस्त चुका रहे थे, लेकिन उनको तब झटका लगा जब पता चला कि उनका बिल्डर दिवालिया हो गया. अब उनको ना घर मिल रहा है न पैसे वापस मिल रहे हैं.
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में Rudra Palace Heights का प्रोजेक्ट 2010 में लॉन्च हुआ था. 2015 में बिल्डर ने पजेशन देने का वादा किया था, लेकिन 2018 में प्रोजेक्ट ब्लैक लिस्ट हो गया. करीब 900 लोगों ने इस प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराया था, लेकिन गृह प्रवेश से पहले ही उनके सपनों पर ग्रहण लग गया और कंस्ट्रक्शन का काम ठप हो गया.
यूनिटेक ने अपनी वित्तीय चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है. अब कंपनी प्लॉटेड प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देगी, क्योंकि इन परियोजनाओं में विकास की लागत कम होती है और मुनाफा अधिक हो सकता है.
रेरा को लागू हुए करीब 9 साल बीत गए हैं, लेकिन लोगों की यही शिकायत है कि रेरा महज कागजी शेर है. दिल्ली-एनसीआर में आज भी सैकड़ों ऐसी इमारतें हैं, जो खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं, तो कुछ इमारतों में इतना स्लो काम हो रहा है कि उसकी डेड लाइन ही पूरी नहीं हो पा रही है.