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Senior Living Homes की बढ़ रही है मांग, रिटायरमेंट के बाद अब बुजुर्गों का सीनियर होम्स में 'गृहप्रवेश'

न्यूक्लियर फेमिली के चलते बुजुर्गों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में सीनियर सिटीजन के लिए सीनियर लीविंग होम्स और रिटायरमेंट होम्स की जरूरत बढ़ रही है, जिसको देखते हुए कई कंपनियां लग्जरी प्रोजेक्ट लेकर आ रही हैं.  

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बुजुर्गों का सीनियर होम्स में 'गृहप्रवेश' (Photo- AI)
बुजुर्गों का सीनियर होम्स में 'गृहप्रवेश' (Photo- AI)

देश में पिछले कुछ सालों से Senior Living Homes की डिमांड लगातार बढ़ रही है. लोग अपने लिए ऐसे घरों की बुकिंग कर रहे हैं, जिसमें वो रिटायरमेंट के बाद आराम से जिंदगी गुजार सकें.भारत की आबादी में करीब 10 फीसदी आबादी बुजुर्गों की हैं. यानी देश में करीब 14 करोड़ लोग 60 साल की उम्र से ज्यादा के हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के बुजुर्गों में से करीब 75 फीसदी लोग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. देश की जनसंख्या तो बढ़ रही है, लेकिन परिवार छोटे हो रहे हैं. न्यूक्लियर फेमिली के चलते बुजुर्गों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में सीनियर सिटीजन के लिए सीनियर लीविंग होम्स और रिटायरमेंट होम्स की जरूरत बढ़ रही है, जिसको देखते हुए कई कंपनियां लग्जरी प्रोजेक्ट लेकर आ रही हैं.  

कोरोना के बाद बढ़ी डिमांड

कोरोना के बाद ऐसे घरों की डिमांड में तेजी से आई है, ऐसे बुजुर्ग जो अपने रिटायरमेंट के बाद आजाद जिंदगी जीना चाहते हैं, उनके लिए ये सही ऑप्शन है. क्योंकि रिटायरमेंट के बाद बच्चों के साथ दूसरे शहर में रहना अक्सर लोगों के लिए मजबूरी होती है, लेकिन अगर वो अफोर्ड कर सकते हैं तो उनके लिए ये बेहतर विकल्प है.  

Mordor intelligence की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सीनियर लिविंग मार्केट 2025 में 12.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने का अनुमान है. वहीं 2028 तक हर साल करीब 10 फीसदी तक की रफ्तार से बढ़ने का संभावना है. जैसे-जैसे सीनियर सिटीजन की आबादी बढ़ेगी, उनके लिए आवास की मांग बढ़ती रहेगी. मेट्रो सिटीज में तो ऐसे प्रोजेक्ट कई सालों से चल रहे हैं, लेकिन लोगों की डिमांड को देखते हुए टियर 2 शहरों भिवाड़ी, कोयम्बटूर, पुडुचेरी, वडोदरा, भोपाल, जयपुर, मैसूर, देहरादून और कसौली शामिल जैसे शहरों में ऐस घर बनाए जा रहे हैं.

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बेंगलुरु, चेन्नई, पुडुचेरी और हैदराबाद रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए पसंदीदा शहर हैं, इसके बाद दिल्ली-एनसीआर, चंडीगढ़ और देहरादून का नंबर आता है. मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, पणजी और सूरत में भी लोगों की डिमांड बढ़ रही है. 

क्यों है Senior Living Homes की मांग?

कई सीनियर सिटीजन ऐसे हैं, जिनके बच्चे दूसरे शहरों में या देश से बाहर रहते हैं, ऐसे में उनके पैरेंट्स अगर सुरक्षित जगह पर रहेंगे तो उनके लिए भी सही रहेगा. ये घर इस तरह से डिजाइन किए जा रहे हैं कि लोगों को 24 घंटे नर्स से लेकर हाउस कीपिंग तक हर तरह की सुविधा मिलती हैं. आमतौर पर दूसरे हाउसिंग प्रोजेक्ट शहर के बीच में बनाए जाते हैं, लेकिन इस तरह के प्रोजेक्ट शहर के प्रदूषण और भीड़ से दूर बनाए जा रहे हैं, जिससे लोगों की सेहत का भी ख्याल रखा जाए.  

इन घरों को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि हर चीज लोगों की पहुंच में हो. साथ ही हर जगह पैनिक बटन लगा होता है, जिससे किसी भी इमरजेंसी में बटन बजने पर उनके पास एक स्टाफ हाजिर हो जाए. घरों में न फिसलने वाली टाइल्स लगी होती हैं.  एबुंलेस, जिम, थियेटर, ग्राॉसरी स्टोर और मंदिर कैंपस कें अंदर बनाए जाते हैं. साथ ही लोगों की सिक्योरिटी के लिए 24 घंटे सीसीटीवी कैमरे से मॉनिटरिंग की जाती है. ये रिटायरमेंट होम आप बुक तो किसी भी उम्र में कर सकते हैं, लेकिन रहने के लिए आप 55 साल की उम्र के बाद ही जा सकते हैं. 

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