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एक साल में 121 करोड़ की सैलरी! इस शख्स का पैकेज मुकेश अंबानी से 8 गुना ज्यादा

एचईजी लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) रवि झुनझुनवाला ने वित्त वर्ष 2018-19 में 121.37 करोड़ रुपये की सैलरी ली है, जबकि मुकेश अंबानी का सालाना वेतन महज 15 करोड़ रुपये था.

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मोटी सैलरी लेते हैं एचईजी के सीएमडी
मोटी सैलरी लेते हैं एचईजी के सीएमडी

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एचईजी लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) रवि झुनझुनवाला ने वित्त वर्ष 2018-19 में 121.37 करोड़ रुपये की सैलरी ली है. दूसरी तरफ रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार मुकेश अंबानी का सालाना वेतन महज 15 करोड़ रुपये था. आइए जानते हैं कि कॉरपोरेट जगत में ज्यादा सैलरी लेने वाले और कौन अधिकारी हैं.

तीन गुना हो गई सैलरी

झुनझुनवाला के इतनी ज्यादा सैलरी लेने पर सवाल भी उठने लगे हैं. एलएनजी भीलवाड़ा समूह की कंपनी HEG लिमिटेड ग्रैफाइट इलेक्ट्रोड का उत्पादन करती है. इसके सीएमडी रवि झुनझुनवाला की सैलरी पिछले साल के मुकाबले तीन गुना बढ़ गई है. असल में झुनझुनवाला को कंपनी के नियम के मुताबिक शुद्ध मुनाफे के 2.5 फीसदी तक कमीशन दिया जाता है, जिसकी वजह से उनके वेतन में करीब 119 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में ही हैं.

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इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, 2017-18 में झुनझुनवाला की सालाना सैलरी सिर्फ 43.33 करोड़ रुपये थी. लेकिन झुनझुनवाला की इस सैलरी को लेकर शेयरधारकों और कॉरपोरेट गवर्नेंस फर्मों की बेचैनी बढ़ गई है.

अभी संभी कंपनियों के नतीजे नहीं आए हैं. सबके नतीजे आने के बाद हो सकता है कि झुनझुनवाला से ज्यादा सैलरी लेने वाला भी कोई एमडी या सीईओ सामने आ जाए, लेकिन वह फिलहाल के आंकड़ों के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले शख्स बन गए हैं. इसके पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में टेक महिंद्रा के सीईओ सी.पी. गुरनानी 146 करोड़ रुपये की सैलरी हासिल कर सबसे ज्याद वेतन लेने वाले शख्स बने थे. इसके बाद 87.5 करोड़ रुपये की सालाना सैलरी लेकर सन टीवी के चेयरमैन कलानिथि मारन दूसरे स्थान पर थे.

वित्त वर्ष 2018-19 में अभी तक जिन कंपनियों ने नतीजे घोषित किए हैं, उनमें हीरो मोटोकॉर्प के सीएमडी पवन मुंजाल को 81.41 करोड़ रुपये, दीपक नाइट्रेट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर उमेश असाइकर को 59 करोड़ रुपये की सैलरी मिली थी.

इससे पिछले साल की बात करें तो बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिकी की सीईओ रहीं इंद्रा नूयी को सालाना 133 करोड़ रुपये की सैलरी मिली थी. इसी प्रकार कॉग्न‍िजैंट के फ्रैंसिस्को डी सूजा को 77 करोड़ रुपये की सालाना सैलरी मिली थी. मास्टर कार्ड के सीईओ अजयपाल सिंह बग्गा को सालाना 84 करोड़ रुपये और डियाजियो के सीईओ इवान मैनुएल को 42 करोड़ रुपये सैलरी मिली थी.

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दिलचस्प यह है कि कंपनी की पूरे वित्त वर्ष में कर्मचारियों पर आने वाली कुल लागत 198 करोड़ रुपये ही है और इसमें से 121 करोड़ अकेले झुनझुनवाला का है. उनके वेतन और कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतन में 4045:1 का अनुपात है.

पिछले वित्त वर्ष में ग्रैफाइट की कीमतों में उछाल की वजह से कंपनी के मुनाफे में भी रिकॉर्ड बढ़त हुई थी. मार्च में खत्म वित्त वर्ष में HEG की शुद्ध बिक्री 140 फीसदी बढ़कर 6,593 करोड़ रुपये और शुद्ध मुनाफा 175 फीसदी बढ़कर 3,026 करोड़ रुपये पहुंच गई.

कई कॉरपोरेट गवर्नेंस फर्म ने एचईजे प्रमुख की इतनी ज्यादा सैलरी पर सवाल उठाए हैं. जानकारों का कहना है कि प्रमोटर्स और शेयरधारकों की सैलरी बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए और मुनाफ को सभी शेयरधारकों में लाभांश के रूप में बांटना चाहिए. कंपनी अधिनियम 2013 के मुताबिक किसी कंपनी का कोई एक मैनेजर शुद्ध मुनाफे के 5 फीसदी से ज्यादा वेतन नहीं ले सकता.

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