टाटा समूह के निवर्तमान अध्यक्ष रतन टाटा ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय कार्पोरेट जगत को दबाव में रखने वाला विषम आर्थिक वातावरण 2013 में भी बना रहेगा और व्यापारिक प्रक्रिया के लिहाज से कंपनियों को अपने आप में परिवर्तन करना होगा.
समूह के सभी कर्मचारियों को भेजे गए अपने विदा पत्र में टाटा ने कहा है कि मौजूदा वर्ष में जिस विषम आर्थिक स्थिति का हमने सामना किया है, वह अगले साल भी अधिकांश समय तक बना रह सकता है. हम संभवत: उपभोक्ता मांग में दबाव, क्षमता से अधिक और आयात से बढ़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करते रहेंगे.
इसलिए हमारी कंपनियों पर व्यापारिक प्रक्रिया के लिहाज से अपने में सुधार लाने और लागत न्यून करने, बाजार में और आक्रामक होने और उपभोक्ता मांग को बेहतर तरीके से पूरी करने के लिए हमारे उत्पाद श्रंखला को विस्तृत करने का भारी दबाव है. भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी का उल्लेख करते हुए टाटा ने कहा है कि इसके शीघ्र खत्म होने के आसार धूमिल नजर आते हैं.
2012 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने दशक की सबसे खराब मंदी का सामना किया और देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 5.5 प्रतिशत के आसपास झूलता रह गया. जनवरी से मार्च 2012 के दौरान भारत का जीडीपी फिसल कर नौ साल के निचले स्तर 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गया. अप्रैल-जून में इसमें मामूली सुधार हुआ और यह 5.5 प्रतिशत दर्ज किया गया, लेकिन अगली तिमाही में हालत फिर से खराब हो गई और यह गिर कर 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गया.